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Wednesday, June 25, 2008

गुलाम गोवा और आजाद गोवा के रेडियो की महिला उदघोषिका

१८ जून को हर साल गोवा मे क्रांति दिवस के रूप मे मनाया जाता है। क्यूंकि १८ ..१९४६ मे डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों को पुर्तगालियों के ख़िलाफ़ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया१८ जून को गोवा की आजादी की लडाई के

इतिहास मे स्वर्ण अक्षरों
से लिखा गया है १८ जून १९४६ को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी ने गोवा के लोगों को एकजुट होने और पुर्तगाली शासन के ख़िलाफ़ लड़ने का संदेश दिया था १८ जून को हुई इस क्रांति के जोशीले भाषण ने आजादी की लड़ाई को मजबूत किया और आगे बढाया इस साल भी गोवा मे revolution day के दिन अलग-अलग जगहों जैसे पंजिम, मडगांव और वास्को मे समारोह का आयोजन किया गया।पंजिम के आजाद मैदान मे गोवा के गवर्नर श्री एस.सी.जमीर गोवा के मुख्यमंत्री और गोवा सरकार के अधिकारियों और जनता ने इस समारोह मे भाग लिया। इस साल ४१ स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर गवर्नर ने सबसे पहले आजादी की इस लड़ाई मे शहीद हुए सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।२१ गन से सलामी दी गई। उसके बाद मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानियों ने भी शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर शहीदों को अपनी श्रधांजलि दी।
गवर्नर ने अपने भाषण मे कहा की आजादी का सबसे बड़ा फायदा है की किसी भी व्यक्ति को अपनी बात कहने की आजादी होती है।
और गवर्नर के भाषण का बिल्कुल सही उपयोग गोवा दमन और दियू स्वतंत्रता सेनानी एसोसिअशन के अध्यक्ष जयद्रथ शोदंकर ने किया और उन्होंने एक के बाद एक अपनी शिकायतें बतानी शुरू की कि किस तरह से स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों suffer करना पड़ रहा है। स्वतंत्रता सेनानी जो इस समरोह मे भाग लेने आए थे उन्होंने अपने भाषण मे बहुत नाराजगी दिखाई और कहा क्यूंकि तो उनके परिवार और बच्चों को सरकारी नौकरी मिली है और ही उन्हें और किसी तरह का बेनिफिट मिला है जबकि हाल ही मे ५०० लोग पंचायती राज मे ४०० लोग स्वस्थ्य मंत्रालय गोवा मे भरती किए गए है। पर उसमे एक भी स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का सदस्य नही है। पूरी ख़बर यहाँ पढिये।
शहीदों की याद मे गोवा पुलिस द्वारा जो धुन बजाई जाती उसका नाम दीवाली है और धुन के आख़िर मे दो बिगुल बजाने वाले (लोन बग्लर ) पार्क के पास बनी ईमारत की खिड़की से बिगुल बजाते हैइस सबसेऊपर वाली फोटो को जूम करके देखने पर आपको वो खिड़की मे दिख सकता है
इन ४१ सम्मानित किए गए स्वतंत्रता सेनानी मे मिस
लिबिया लोबो सरदेसाई
भी थी लिबिया जी १९४९-५० गोवा यूथ लीग की मेंबर थी और १९५५ -६१ तक कैसल रॉक (जो आज का बेलगाम है ) से अंडर ग्राउंड रेडियो स्टेशन voice of freedom के नाम से चलाती थी उस समय गोवा के आखिरी गवर्नर जनरल को आत्म समर्पण करने को कहा और चेतावनी दी कि अगर ऐसा नही किया तो लिबरेशन फोर्स (भारतीय सेना) गोवा मे प्रवेश कर जायेगीये संदेश हर १० मिनट के अंतराल पर लिबिया जी के द्वारा उनके रेडियो स्टेशन से प्रसारित किया जाता रहा था१७.१२.११९६१ मे गुलाम गोवा के लिए उनके रेडियो स्टेशन का ये आखिरी प्रसारण था

इस क्रांति दिवस के दौरान उनसे मिलने और बात करने का मौका मिला और तब उन्होंने बताया कि जब भारतीय सेना ने गोवा को आजाद करवा लिया था तब भारतीय सेना के प्रमुख जनरल चौधरी ने लिबिया जी से पूछा था कि अब क्या चाहती है तो इस पर लिबिया जी ने कहा कि वो आजाद गोवा का पहला प्रसारण भी ख़ुद ही करना चाहती है और इसके लिए उन्हें प्लेन मे बैठ कर broadcast करने की इजाजत दी गई और१७ .१२.१९६१ को प्लेन से ही लिबिया जी ने गोवा के लोगों को आजादी का संदेश दिया आजकल लिबिया जी गोवा मे वकालत कर रही है

नोट--पंजिम के मेन मार्केट का नाम १८ जून रोड हैतो अब जब आप गोवा आए तो १८ जून पर शौपिंग जरुर करियेगा । :)

3 comments:

Rajendra said...

Thanks for the informative post. Can someone persuade Ms Lobo to pen for Radionama her reminisences of an underground broadcaster.

mamta said...

आपकी टिप्पणी का शुक्रिया.
हम वादा तो नही कर सकते है पर मिस लोबो से बात करेंगे लिखने के लिए ।

राज भाटिय़ा said...

धन्यवाद एक अच्छी जानकारी के लिये,

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

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