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Wednesday, October 3, 2007

पचास बरस की विविध भारती ...कुछ मलाल

दोस्तो आज विविध भारती अपने सुरीले सफ़र की सुनहरी पायदान पर पहुँच गई.इसके प्रसारणकर्ताओं ने अपनी कल्पनाशीलता और रचनात्मकता से 3 अक्टूबर यानी आज को पूरे दिन महकाए रखा. मुझे लगता है आज के इस दिन के लिये टीम विविध भारती को जितनी बधाई दी जाए कम है.पं.माखनलाल चतुर्वेदी,हरिवंशराय बच्चन,अमिताभ बच्चन,रामधारीसिंह दिनकर,भारतरत्न लता मंगेशकर,मनोज कुमार,तलत मेहमूद,सज्जाद,जयदेव,राहुलदेव बर्मन गुलज़ार,जैसे नामचीन व्यक्तित्वों की आवाज़े और स्मृतियाँ विविध भारती से मोगरे की सी ख़ूशबू बनकर हमारे कानों पर झरती रही. लेकिन क्या करूँ अपनी विविध भारती के पचास पूरे करने पर मन में थोड़ा सा मलाल रह गया.कुछ बिंदुओं में इसका
शब्दांकन कर रहा हूँ ...उम्मीद है आप सहमत होंगे क्योंकि शब्द मेरे हैं ...भावनाएँ आपकी ही हैं..

- आज आकाशवाणी के समाचार प्रसारणों में (जो रीजनल प्रसारण केंद्रों से सुनाई देते है) विविध भारती के पचास वर्ष पूर्ण होने पर दिन भर ख़बर जारी की जानी थी.इससे एक बड़ी श्रोता संख्या विविध भारती का विशेष प्रसारण की ओर आते.

- प्रसार भारती की अनुषंगी इकाई होने के कारण सूचना प्रसारण मंत्री के द्वारा समाचार पत्रों और दूरदर्शन पर विविध भारती को बधाई का वक्तव्य जारी होना था.

-प्रधानमंत्री द्वारा भी विविध भारती की लम्बी यात्रा के लिये शुभकामना व्यक्त की जानी थी.
बहुत साधारण उपलब्धियों के लिये प्रधानमंत्री के वक्तव्य जारी हो जाते है तब विविध भारती का कारनाम तो विशिष्ट और ऐतिहासिक है

-स्वर्ण जयंति की पूर्व संध्या पर चालीस बरस से ज़्यादा समय बिता चुके जीवित / दिवंगत प्रसारणर्ताओं को सम्मानित किया जाना था.

-विविध भारती के प्रथम प्रोड्यूसर कविवर पं.नरेन्द्र शर्मा के नाम पर प्रसारण सम्मान प्रसार भारती द्वारा स्थापित किया जाना चाहिये था.

-3 अक्टूबर के शुभ दिन मुंबई में नये / पुराने प्रसारणर्ताओं,एडवरटाईज़िग एजेंसियों गायकों,संगीतकारों,कवियों,मीडियाकर्मियों,साहित्यकारों और गुज़रे ज़माने के फ़िल्म कलाकारों,गीतकारों,गायकों,संगीतकारों की मौजूदगी में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित करना चाहिये था.ज़रा सोचिये कोई एफ़.एम.चैनल पचास बरस पूरे कर लेगा तब पूरे देश को हिला कर रख देगा.विविध भारती तो पचास साल की हो गई...यहाँ मेरे शहर इन्दौर में अपनी तीसरी चौथी सालगिरह मना रहा चैनल पूरे शहर को मिर्ची मय बना देता है ( संयोगवश बता दूँ इन्दौर से ही एफ़.एम चैनल्स की शुरूआत हुई थी और रेडियो मिर्ची ने यहीं से 4 अक्टूबर के दिन अपना प्रसारण प्रारंभ किया था.)
क्या प्रसार भारती वाले इतने दरिद्र हैं कि एक शानदार शाम पचास साल से पूरे एशिया को हिन्दुस्तानी ज़ुबान,तहज़ीब और संगीत से रूबरू करवाने वाली प्रसारण संस्था को समर्पित नहीं कर सकती थी.जहाँ तक ख़र्च का सवाल है ऐसे आयोजनों के लिये तो प्रायोजक भी मिल सकते थे.

क्या ये भी नहीं हो सकता था :

-इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के मद्देनज़र विविध भारती के वैब एडिशन की शुरूआत की जाती.

-विविध भारती आकाशवाणी की सहोदर है..क्या विविध भारती की श्रोता संख्या बढ़ाने के लिये प्रत्येक
आधे घंटे में समाचार सुर्ख़ियाँ प्रारभ की जाए.हाल फ़िलहाल हम सुबह 6 बजे,8 बजे,शाम 7 बजे,रात 8.45 बजे और रात 11 बजे ही समाचार सुन पाते हैं

-दिन भर जारी रहने वाले कार्यक्रमों में क्रिकेट मैचों के स्कोर सुनाना प्रारंभ किया जाए.ये काम अभी एफ़ . एम चैनल कर रहीं हैं और इसके लिये प्रायोजक भी जुगाड़ कर पैसा कमा रही है.

बातें बहुत सी हैं...शिकायतें भी लेकिन आज जश्न के मूड को ख़राब नहीं करना चाहता. ये एक रेडियोप्रेमी श्रोता का दर्द है. मेरे लिये तो विविध भारती मौसी की तरह है जो वालदैन की मानिंद बोलना सिखाती है.आईये धन्यवाद दें विविध भारती की नई टीम को जिसमें राकेश जोशी,कमल शर्मा,निम्मी माथुर,अशोक सोनावणे,राजेन्द्र भाई,शहनाज़,ममता सिंह,रेणु बंसल,कांचन प्रकाश संगीत, युनूस ख़ान जैसे जुनूनी (इन्हे मै सुरीले जेहादी कहना चाहूँगा)शामिल हैं. इन सब ने मिल कर विविध भारती को नया जीवन दिया है. सब जानते हुए कि विविध भारती एक शासकीय प्रसारणसंस्था है इन सब ने अपने काम को महज़ नौकरी नहीं समझा.अपना ख़ून देकर इस संस्था को जिलाया है.

अपनी बात ख़त्म करते करते ये ज़रूर कहना चाहूँगा कि पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री ने विविध भारती को भुनाया है.फ़िल्म आने से पहले और स्क्रीन से विदा होने के बाद भी जिस तरह से विविध भारती फ़िल्म संगीत को जीवंत बनाए रखती है उसके लिये उसे क्या क़ीमत मिली है.तमाम फ़िल्म कलाकारों को सेलिबिटी बनाने में विविध भारती का अविस्मरणीय योगदान है क्या पुरस्कार मिला है इसके लिये उसे.
मेरी बात से आप सहमत हों तो ज़रूर अपनी बात कहें ...हो सकता है आपकी बात से कोई नई तस्वीर सामने आए....

विविध भारती.....ज़िन्दाबाद !

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10 comments:

sanjay patel said...

पौने नौ बजे से नौ बजे तक प्रसारित हिन्दी समाचार बड़ी आस से सुने...ये सब था उसमें...

-मुग़लसराय में भगदड़
-पटना में सांसद को मृत्युदंड
-गृहमंत्री का आतंकवाद पर वक्तव्य
-परवेज़ मुशरर्फ़ द्वारा नवाज़ शरीफ़ पर से मुक़दमा हटाने की घोषणा
-प्रधानमंत्री द्वारा छोटे अख़बारों को पुरस्कार
-राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार ग्यारंटी योजना
-सानिया मिर्ज़ा के मुताल्लिक ख़बर

और नहीं था इस बात का ज़रा सा भी ज़िक्र की विविध भारती प्रसारण सेवा ने आज अपनी यात्रा के पचास बरस पूरे कर लिये...मन का मलाल और बढ़ गया ...और रेडियो सैट ऑफ़ कर दिया.विविध भारती के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार हम रेडियोप्रेमियों का भी अपमान है.

Srijan Shilpi said...

मौका मिला तो आकाशवाणी के कर्ताधर्ता तक आपकी बात पहुंचा दूंगा कुछ ही दिनों में। शायद, देर-सबेर वे कुछ करना चाहें आपके सुझावों-अपेक्षाओं के अनुरूप।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री संजयजी,
आप इन्दौर वासीयों तो काफी़ नसीबवाले है, की आप बरसों से अपने स्थानिय केन्द्रसे विविध भारती सुन रहे है । हमें सुरतमें तो यह सुविधा २ अगस्त २००२ से ही प्रप्त हुई और ओर इस लिये मैनें अपने निजी खर्ची से काफी़ पत्र व्यवहार आकाशवाणी के महानिर्देषालय्से और केन्द्र सरकारके सुचना प्रसारण मन्त्रालयसे हमारे सांसद भूतपूर्व केन्द्रीय कपडा मंत्री श्री काशीराम राणाजी के द्वारा किया था । वैसे मेरी प्रस्तूती पूर्ण समय की प्राईमरी चेनल के अलावा स्थानिय विविध भारती चेनल के लिये थी , पर सरकारने सिर्फ़ विज्ञापन से होने वाले मुनाफे की सौचकर जो स्थानिय खंड समयी एफ. एम. चेनल को ही पूर्ण समयी विविध भारती चेनल बना दिया । आप ने मेरी एक पोस्ट तो पढी़ है जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं के एफ. एम. चेनल्स का सुझाव है ।

Udan Tashtari said...

विविध भारती.....ज़िन्दाबाद !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सँजय भाई
आपका मलाल बिलकुल व्याजबी है -- आप ने जैसा सोचा , वो सब हो जाये तब तो
आज के विश्व फलक पर सिरमौर होते भारत के प्रति श्रध्धा और भी बढ जाये - आकाशवाणी, प्रसार भारती, विविध भारती सँस्थाएँ
बहुत कुछ कर सकतीँ हैँ -- अगर ठोस कदम उठाये जायेँ तो बढिया होगा.
किसी ने मेरे पापा जी के लिये कहा है कि " भारत माँ का सच्चा सपूत " ( जिस के कार्योँ को कभी सरकारी मशीन ने सराहा नहीँ )
पापा जी तो सर्वथा निस्पृह रहे -- काम करके आगे बढ जाना उनका स्वभाव था और अहम्` को तो चूर चूर कर दीया था इतने विनम्र थे
उन्हेँ तो अपनी देश सेवा या आज़ाद भारत की सेवा सब कर्तव्य का हिस्सा ही लगे जिसका जिक्र तक वे नहीँ करते थे
......हाँ अम्मा ने हमेँ सब बतलाया था
क्योँकि उन्हेँ अपने सुहाग के प्रति बहुत आदर और प्रेम था.
--स्नेह सहित,
-- लावण्या

Anonymous said...

चिट्ठे के एक-एक शब्द से मैं सहमत हूं।

अन्नपूर्णा

Sagar Chand Nahar said...

मैं भी आपकी बातों से पूर्ण सहमत हूँ।
वैसे NDTV ने आज सुबह साथ से साढ़े सात तक एक विशेष कार्यक्रम रखा था " आकाशवाणी के पचास साल.." नये पुराने उद्घोषकों साक्षात्कार बताये थे जिसमें अमरकांत दुबे , बृज भूषण साहनी, लोकेन्द्र शर्मा और हमारे प्रिय यूनुस झी भी थे।

sanjay patel said...

आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया.सृजन शिल्पी जी का विशेष आभार क्योंकि उन्होने आश्वस्त किया कि वे मेरी बातों में से वाजिब बातों को सही लोगों तक पहुँचाने का जतन करेंगे.

Manish Kumar said...

आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ। ये तो भला हो यूनुस भाई का जिनकी वजह से कम से कम चिट्ठाकार बंधुओं तक ये बात पहुँची।
कुल मिलाकर अपने सीमित संसाधनों में इन पचास वर्षों में विविध भारती ने बेहतरीन कार्य किया है और इसके लिए सारा विविध भारती परिवार बधाई का पात्र है।

पर ये और आगे भी जा सकती थी.. मेरे जैसे कई श्रोताओं ने अस्सी के दशक में विविध भारती से नाता तोड़ लिया था, क्योंकि अपने बँधे बँधाए ढ़र्रे से वो अपने ४प को निकाल नहीं पाया था. आज बदलाव दिख रहा है पर अभी भी काफी गुजांइश है। अपने विचार विस्तार से रखूँगा शीघ्र ही।

विपिन said...

सर्वप्रथम सभी श्रोताओं और विविध भारती परिवार को ५०वे जन्मदिन की हार्दिक बधाई |
आपके ब्लॉग मे जो शिकायतें है वो सारी जायज है लेकिन आप सभी के साथ हमारे जैसे ढेर सारे श्रोताओं का प्यार है | विविध भारती ने जिस तरह विविध रंगो के कार्यक्रमों के द्वारा इस देश की विविधता मे एकता वाली छवि को प्रस्तुत किया है उसके लिए पूरा विविध भरती परिवार धन्यवाद के योग्य है और इसके सभी सदस्य आदरणीय है |
जय हिंद ! जय विविध भरती !
--विपिन

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