हमारे देश में रेडियो सीलोन एक लोकप्रिय चैनल रहा है। आज भी ऐसे लोग मिल जाएगें जो सीलोन सुनना पसंद करते है।
६० और ७० के दशक में जब रेडियो सीलोन का बहुत बोलबाला था तब भी बहुत से रेडियो सेट में साफ सुनाई नहीं देता था। खरखराहट रहती थी। तब लगता था कि पास के देश से प्रसारित हो रहा है इसीलिए तकनीकी समस्या है।
आज तकनीकी रुप से बहुत उन्नति हो गई है। टेलीविजन के प्रसारण तो बहुत साफ आते है। साफ तस्वीर और साफ आवाज के साथ सिर्फ अपने देश में ही नहीं बल्कि साथ-साथ आस-पास के देशों में भी देखे जा सकते है। फिर भी सीलोन के प्रसारण में तकनीकी समस्या है।
आज भी सीलोन साफ सुनाई नहीं देता। खरखराहट पहले की तरह ही है। क्यो साफ सुनाई नही देता ? किस तरह की तकनीकी समस्याएं है ? इसे कौन , कैसे और कहां से दूर किया जा सकता है ? लगता है इन सवालो पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।
लगता है सभी टेलीविजन चैनलो और रेडियो के एफएम चैनलो से इतने जुड़ गए है कि इस बारे में कोई सोच ही नहीं रहा। वरना मुझे लगता है कि संचार क्रांति के इस दौर में सीलोन की खरखराहट दूर करना मामूली सी बात है।
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Wednesday, February 6, 2008
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2 comments:
मेरा ख्याल है कि श्रीलंका प्रसारण सेवा अभी भी शॉर्ट वेव के २५ मीटर बैण्ड के ११९०० पर ही आती होगी।टेलिविजन की ध्वनि तरंगे FM पर होती हैं -स्पष्ट किन्तु कम दूरी के लिए।श्रीलंका वाले क्या करें यह युनुस बताएंगे।
अफलातून जी सीलोन शार्ट वेव पर ही है. क्या एफएम पर नहीं आ सकता क्योकि टेलीविजन तो एक साथ कई देशों मे देख सकते है.
अन्नपूर्णा
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