अब पिछले १०-१५ सालों से हम विविध भारती बहुत ज्यादा नही सुनते थे पर जब से रेडियोनामा शुरू हुआ है विविध भारती मे फ़िर से रूचि हो गयी है।और इसीलिए अब हम रेडियो की दुबारा खोज मे लगे है।
विविध भारती पर आने वाला लोक संगीत का कार्यक्रम पहले तो तीन या साढ़े तीन बजे आता था । पिछले कुछ दिनों से अगर तीन बजे रेडियो चलता रहता है तो लोक संगीत वाली जानी-पहचानी सी धुन सुनाई नही देती थी . बल्कि अब तीन बजे और दूसरे कार्यक्रम आते है.
अब हमे तो यही लगता था की शायद विविध भारती ने लोक संगीत का कार्यक्रम ही बंद कर दिया है। पर शुक्रवार को रात मे पौने आठ बजे अचानक ही उद्घोषक की आवाज आई की अब सुनिए लोक गीत।और उसकी सिग्नेचर धुन बजी। और फ़िर तीन-चार लोक गीत बजवाये गए।पर आश्चर्य है की इतने साल बाद भी वही लोक गीत सुनने को मिले।ना तो लोक गीत कहने का और ना ही इसकी सिग्नेचर धुन का और ना ही इस कार्यक्रम का अंदाज बदला।
आगे भी हम कुछ ऐसी ही अपनी खोज के बारे मे बात करते रहेंगे। :)
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3 comments:
जानकारी के लिए धन्यवाद
मथुरा कलौनी
जी हां लोकसंगीत दोबारा शुरू हो गया है ।
nai -nai jaankari dene ke liye aapka bahut-bahut dahnyabad.
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।