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Tuesday, April 8, 2008

बच्चों से दूर ही रही विविध भारती

आमतौर पर जिन रेडियो चैनलों को हमारे देश में सुना जाता है वे है - स्थानीय केन्द्र, विविध भारती, सिलोन, आल इण्डिया रेडियो की उर्दू सर्विस, बीबीसी की हिन्दी सेवा और आजकल जुड़ गए है एफएम चैनल।

हमेशा से ही यह देखा गया है कि रविवार को स्थानीय केन्द्रों पर बच्चों के लिए कार्यक्रम होता है। इसमें विभिन्न स्कूलों से बच्चे भाग लेते है, बच्चे सीधे भी इस कार्यक्रम में भाग लेते है और सभी बच्चे घर में बैठे इस कार्यक्रम को सुनते है। इस कार्यक्रम के शीर्षक भी सब जगह अलग-अलग रहे जैसे बाल जगत, बच्चों की दुनिया, बालवाटिका…

रेडियो सिलोन से हर रविवार बच्चों का कार्यक्रम प्रसारित होता था - फुलवारी जिसे मनोहर महाजन, विजयलक्ष्मी मेनन, शशि मेनन प्रस्तुत करते थे।

फुलवारी शीर्षक से ही शायद बीबीसी से भी कार्यक्रम प्रसारित होता था जिसे शायद वीरेन्द्र सक्सेना जी प्रस्तुत करते थे जो आजकल टेलीविजन धारावाहिकों में नज़र आते है।

उर्दू सर्विस से भी इसी तरह साप्ताहिक कार्यक्रम बच्चों के लिए प्रसारित होता है। लेकिन विविध भारती कभी बच्चों की न हुई।

हालांकि विविध भारती का प्रसारण बहुत साफ़ सुनाई देता है, पहले मध्यम तरंग (मीडियम वेव) पर भी और आजकल एफ़एम पर भी। स्थानीय केन्द्र मीडियम वेव पर साफ़ सुने जाते है। सुनने मे दिक्कत हमेशा से लघु तरंग (शार्ट वेव) पर ही रही।

तकनीकी दिक्कत से शार्ट वेव पर बच्चों का कार्यक्रम सुनना मुश्किल ही रहा और सिर्फ़ स्थानीय केन्द्र से ही यह कार्यक्रम सुना जाने लगा। बहुत बुरा लगता रहा (और आज भी लगता है) कि साफ़ सुने जा सकने वाले विविध भारती से बच्चे अपना कार्यक्रम नहीं सुन सकते।

हमारा बचपन भी विविध भारती के संगीत सरिता और हवा महल या अपना घर जैसे पारिवारिक कार्यक्रम और प्यार-मोहब्बत के फ़िल्मी गाने सुनते गुज़रा जो हमारे घर के बड़ों को भी बुरा लगता था।

वैसे भी विविध भारती के लिए समाज में यही कहा जाता रहा है कि विविध भारती से तो प्यार मोहब्बत के गाने ही बजते रहते है। मगर आजकल महिलाओं के लिए सप्ताह में पाँच दिन का कार्यक्रम सखि-सहेली है, युवाओं के लिए यूथ एक्सप्रेस है, सामयिक विषयों पर चर्चा के लिए मंथन है, स्वास्थ्य कार्यक्रम है पर आज भी बच्चों के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है।

पहले जब पंचरंगी कार्यक्रम था तब भी एक भी रंग बच्चों का नहीं था। आज न मनोरंजन कार्यक्रम में बच्चे है और न ही विज्ञापन सेवा में बच्चों के लिए कुछ रखा गया है सिवाय इसके कि बालदिवस पर बच्चों के कुछ फ़िल्मी गीत बज जाते है और मंथन जैसे कार्यक्रमों में बच्चों के बारे में कभी-कभार चर्चा होती है जो बड़ों से की जाती है।

6 comments:

सागर नाहर said...

आपका कहना सही है, बच्चों के लिये भी कार्यक्रम होना ही चाहिये।

Dr Parveen Chopra said...

अन्नपू्र्णा जी, आप बिलकुल दुरूस्त फरमा रही हैं कि इस विज्ञापन सेवा में आखिर हम देश की कल की पीढ़ी को कैसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। आशा है कि अब चूंकि आप ने इतना महत्त्वपूर्ण मुद्दा उठा ही दिया है तो इस के ऊपर संवाद छिड़ना चाहिये और बहुत सी पोस्टें इस विषय पर लिखी जानी चाहिये। वैसे, मैं भी सोचता हूं कि हम लोगों ने भी अपना बचपन उर्दू-सर्विस के सहारे ही बिता दिया।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री अन्नपूर्णाजी,
फुलवारी नामसे कार्यक्रम विविध भारती की केन्द्रीय सेवासे एक जमानेमें होता था । और आपने रेडियो श्री लंका से बच्चोंके कार्यक्रम की जो बात लिखी है, वह फूलवारी नामसे नहीं पर बाल सखा नाम से होता था, वह रविवार के दिन शायद सुबह १०.३० पर प्रस्तूत होता था । शुरूआती दिनो से कई सालो तक उस समय प्रसारण कक्ष के उद्दघोषक सुबह ७ से ले कर दो पहर १ बजे तक श्री गोपाल शर्माजी रहते थे, पर इस कार्यक्रम को स्व. शिव कूमार ’सरोज’ प्रस्तूत करते थे । हाँ एक दो बार श्री शिव कूमार ’सरोज’जी के छूट्टी पर जाने के कारण खुद गोपाल शर्माजीने ये प्रस्तूत किये थे । बादमें उन लोगोंके रेडियो श्री लंका छोड़ने के बाद कई लोगो ने, जिसमें आपने लिखे नामो के अलावा प्रस्तूत किये थे, पर मेनन कोई भी नहीं था । विज्या लक्ष्मी डी सेरम और शशि परेरा थी । विज्या लक्ष्मीजी लखनौ से थी, और भारत सितार सिख़ने आये श्रीलंकन से शादी करकेर वहाँ गयी थी और उनको श्री गोपाल शर्माजी रेडियो श्रीलंका हिन्दी सेवामें ले आये थे । यह बात श्री गोपाल शर्माजीने अपनी आत्म कथामें लिखी है । सुनिल दत्तजी के निधन के समय वोईस ओफ अमेरिका हिन्दी सेवा की और से उनके लिये सजीव फोन आउट श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिये श्री गोपाल शर्माजी और श्री अमीन सायानी साहबके बदले हुए फोन नं और मोबाईल नं कि जाँच के लिये उन्होंने मूझे भी फोन किया था । श्री अमीन सायानी साहब का विडीयो इन्टर व्यू नये तरीके से अपलोड करनेमें सफलता दूर ही तही है । इस लिये अन्य पोस्ट जैसे, आपकी युनूसजी, अनिताजी, सागरजी, ममताजी, दोनों अजितजी, वगैरह मित्रों की पोस्ट पर टिपणी लिखने में चूक जाता हूँ । या आप सभी के मेरे पोस्ट पर लिखी टिपणीयोँ पर अपना आभार प्रकट करना चूक जाता हूँ , इस लिये क्षमा प्रार्थी हूँ । श्री हर्षद भाई, मीत जी संजय पटेलजी का भी आभारी हूँ । अगर कोई नाम इसमें छूट जाता है, तो आशा है, क्षमा करेंगे ।
पियुष महेता
सुरत-३९५००१

annapurna said...

पीयूष जी हो सकता है कि इन तीनों (नाम लिखने में ग़लती हो सकती है।) द्वारा प्रस्तुत ही कार्यक्रम मैनें सुने हो जिसमें हो सकता है यह कहा गया हो कि बच्चों की फुलवारी का कार्यक्रम… विविध भारती से मैनें तो कभी नहीं सुना बचपन में भी नहीं।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री अन्नपूर्णाजी,
विविध भारती से यह फूलवारी कार्यक्रम शायद रविवार के दिन दिनमें ३.३० पर शुरू होता था । यह भी कम समय के लिये था । वह एक ऐसा समय था, कि पहेले ३.४५ से ५.३० के दौरान आने वाली कर्णाटक संगीत सभा, स्थानिय केन्द्रों से बंध कर दी गयी थी, पर केन्द्रीय विविध भारती सेवा के दोनों मूख्य शोर्ट वेव केन्द्र, कर्णाटक संगीत सभा जारि रखती थी । और स्थानिय केन्द्रो, केन्द्रीय विविध भारती सेवा द्वारा तैयार किये गये हिन्दी कार्यक्रमों को प्रस्तूत करते थे । एस एल बी सी के बाल सखामें चोरी चोरी के गीत औल लाईन क्लियर का शुरूआती संगीत है ।

Pankaj Oudhia said...

ये मेहता जी तो जीते-जागते एनसाइक्लोपीडीया है रेडियो के। काश इतना विस्तृत ज्ञान हमे भी होता अपने क्षेत्र मे।

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