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Tuesday, April 22, 2008

बरसों से ये ध्वनियां आपके घरों में पहुँचा रही है विविध भारती

विविध भारती के कार्यक्रमों से संबंधित कुछ संदेश प्रसारित होते है जिनमें से एक में विभिन्न कार्यक्रमों की संकेत ध्वनियाँ आकाशवाणी की मुख्य संकेत धुन (सिगनेचर ट्यून) के साथ सुनवाई जाती है और कहा जाता है कि बरसों से ये ध्वनियाँ आपके घरों में पहुँचा रही है विविध भारती।

यह सच है कि बरसों से ये ध्वनियाँ हम सुन रहे है लेकिन आज तक हम नहीं जानते कि ये ध्वनियाँ तैयार किसने की है। आकाशवाणी की मुख्य संकेत धुन जो विविध भारती सहित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों के प्रसारण के शुरूवात में बजती है, लगता है आकाशवाणी की स्थापना के समय से ही बज रही है क्योंकि मैनें किसी और धुन के बारे में कभी सुना नहीं।

इस धुन का कुछ फ़िल्मों में भी प्रयोग किया गया जहाँ यह बताया जाना था कि सुबह हुई है। शायद यही आकाशवाणी की सबसे पुरानी संकेत धुन है।

विविध भारती की पुरानी धुनों में से है हवामहल की धुन जिसके बाद संगीत सरिता की धुन। जयमाला के लिए संकेत धुन बाद के सालों में शुरू की गई। अब तो अंत में सलाम इंडिया के लिए भी धुन बजती है।

पुरानी धुनों में से ही है वन्दनवार और लोक संगीत कार्यक्रम की धुन। इसके बाद जैसे-जैसे एक के बाद एक कार्यक्रम शुरू होने लगे इनकी संकेत धुनें भी बजने लगी जैसे पिटारा, हैलो फ़रमाइश, मंथन, त्रिवेणी और शायद सबसे नई धुन है सखि-सहेली और हैलो सहेली की।

इन विभिन्न धुनों को किसने तैयार किया है ? क्या यह मूल धुनें तैयार की गई है या इसमें अन्य धुनों के टुकड़े जोड़े गए है जैसे सखि-सहेली की धुन में कुछ नई फ़िल्मों की धुनों के टुकड़े नज़र आते है। इसी तरह मंथन की धुन फ़्यूशन म्यूज़िक सी लगती है। क्या कोई यह जानकारी दे पाएगा।

10 comments:

Yunus Khan said...

जी हां जानकारी मैं दूंगा । मंथन की सिग्‍नेचर ट्यून मैंने फिल्‍म नमकीन के गीत 'आंकी चली बांकी चली' से निकाली थी । राज़ का पहली बार पर्दाफ़ाश हो रहा है । सलाम इंडिया की धुन मैंने चाइना गेट के गाने से निकाली है । सखी सहेली की धुन के लिए बड़ी जद्दोजेहद करनी पड़ी और आखिरकार मुझे फिलम यादें के एक गाने में अनुकूल धुन मिल ही गयी । पिटारा की धुन के बारे में भी बता दूं कि ये ट्यून मैंने फिल्‍म किसना के टायटल गीत से उड़ाई है । कई बार टुकड़ों को निकालकर हेर फेर किया जाता है । कई बार दूसरे टुकड़े जोड़े जाते हैं । कई बार दूसरी कलाबाजियां करते हैं हम जो फिलहाल आपको नहीं बताएंगे ।
आजकल जयमाला की जो ट्यून है उसे हमने निकाला है भारतीय सेना के एक ई पी रिकॉर्ड से । जिसमें मार्च पास्‍ट ट्यून्‍स हैं । हवामहल और वंदनवार की ट्यूनें मेरे जन्‍म से भी पहले की हैं और संभवत: विशेष रूप से तैयार की गयी हैं ।
जल्‍दी ही रेडियोनामा पर ये सभी ट्यून्‍स अपलोड करेगा आपका ये दोस्‍त ।
नमस्‍ते ।
कैसी रही

annapurna said...

बड़े चोर है आप यूनुस जी…

हेरा-फेरी भी करते है।

ऊपर से सीनाजोरी करते है कि आपको (फिलहाल) नहीं बताएगें।

खैर… इन धुनों को सिर्फ़ अपलोड ही मत कीजिए बल्कि साथ में पूरी जानकारी भी दीजिए।

हो सके तो हवामहल और वन्दनवार की धुनों के बारे में पता करके बताइए।

PD said...

are vaah.. nayi jaankaari.. :)
badhiya hai.. main un dhuno ke intjaar me hun..

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डॉ. अजीत कुमार said...

यूनुस भाई ने भी क्या खूब जानकारी दी है.
जहाँ तक पहली धुन की आपने बात की है तो वह धुन मुझे लगता है कि रेडियो की शुरूआत से ही बज रही होगी. ये धुन दिन भर के अलग अलग प्रसारण सभाओं की शुरुआत में एक लंबी बीप टोन के बाद बजते हैं और लगभग २ मिनट तक चलते हैं. एक और महत्वपूर्ण धुन है जो दिन में सिर्फ़ एक बार ही बजती है और वो है मंगलध्वनि की धुन. सुबह की सभा के प्रथम धुन के बाद उदघोषक दिन, तारीख़,संवत आदि की घोषणा करते हैं उसके बाद बजती है मंगलध्वनि. लगभग तीन मिनट बजने वाले इस धुन के बाद ही सुबह की सभा की शुरुआत होती है.
विविध भारती की एक धुन मुझे बेहद पसंद है और वो दिन भर के प्रसारण के बिल्कुल अंत में 11 बजे के रात्रि समाचारों के पहले बजते हैं, कार्यक्रम झरोखा में जिसमें दूसरे दिन के कार्यक्रमों की सूची बतायी जाती है. फ़िल्म स्वदेश की ये धुन मुझे काफी भाती है.

Manas Path said...

यहां तो वही फ़ांट का चक्कर. दिखता ही नहीं.

KAMLABHANDARI said...

pahli baar ish blog par aai hun .redio ke baare mai itni jaankari mili bahut accha laga.aage bhi aat rahungi .

Anita kumar said...

पोस्ट पढ़ते हुए ये तो पता था कि जवाब युनुस जी के पास होगा लेकिन ये बिल्कुल हैरान करने वाला जवाब था और उनका जवाब पढ़ते हुए मन में एक ही शब्द आया "धुनचोर"…:)अनु मल्लिक की शागिर्दी की लगती है। चलिए अब विस्तार से अपने जुर्म कबूल कर लिजिए।

Anonymous said...

aakashvani ke her prasaran ke shuruaat mein jo lagbhag 2 mts. ki dhun bajti hai ise banaane wale composer ka naam hai "John Foulds".jee haan yeh lagbhag 75 saal puraani dhun hai aur aaj bhi bajti hai

annapurna said...

शुक्रिया मुज़ामिल जी !

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