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Friday, April 25, 2008

रेडियो पर बजने वाले गीत/संगीत का शुल्क ?

बचपन में सुना था कि आकाशवाणी पर बजने वाले हर गीत / संगीत का हिसाब रखा जाता है । उस गीत / संगीत से जुड़े़ कलाकारों को आकाशवाणी कुछ शुल्क अदा करती है । रेडियो से जुड़े साथी बताये कि क्या ऐसा होता है / था ?

प्रति गीत / धुन यह शुल्क यदि है तो कितना है तथा गायक , संगीतकार और गीतकार में इसका विभाजन भी होता है / था , क्या ?

9 comments:

mamta said...

इस बारे मे तो युनुस भाई ही बता सकते है।

राज भाटिय़ा said...

हम ने भी सुना था की एक गीत कार या फ़िल्म कार अपने गीत को प्रसिधिं दिलवाने के लिये अपने गीत के राईट्स रेडियो बालो को देते थे,लेकिन सुनी सुनई बातो का कया, झुठ भी हो सकती हे, इस लिये ममता जी की बात उचित हे.

Yunus Khan said...

अफलातून जी बचपन में सुनी बात सही है । आकाशवाणी ही क्‍या बल्कि आज के जमाने के सारे गुचकूं स्‍टेशन भी हर गाने का शुल्‍क अदा करते हैं । पहले के ज़माने में होता ये था कि संगीत का कॉपीराईड प्रोड्यूसर के पास होता था । बाद में चलन बदला और अब प्रोड्यूसर एक मुश्‍त रकम लेकर कॉपीराईट म्‍यूजिक कंपनी को बेच देते हैं । इस तरह अब रेडियो से रॉयल्‍टी म्‍यूजिक कंपनी को जाती है । और कंपनी गाने में शामिल सभी लोगों ( गीतकार संगीतकार गायक) को रॉयल्‍टी देती है ।
इसका तरीका ये है कि सारे सरकारी स्‍टेशन अपना ब्‍यौरा एक केंद्रीय कार्यालय को भेजते हैं और वहीं से रॉयल्‍टी का पैसा रिलीज़ किया जाता है । आजकल एक बार गाना बजाने की रॉयल्‍टी कितनी है, ये तो पता नहीं । पर शायद एकाध रूपए ही होगी ।

अफ़लातून said...

सूचना के लिए शुक्रिया , युनुस भाई ।

Anonymous said...

filmi gaano ke liye "per song" 4 rs. royalty her station ko deni padti hai.iske alaawa non film music ke liye ye kitane minit bajta hai is per royalty hoti hai

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

जैसे युनूसजीने बताया है मैंनें भी एक गाने की एक बार पूरी (अगर थोडा सा अधूरा छूट जाता है तो भी शिड्यूल हुआ है तो पूरा ही गिना जाता है पर सिर्फ़ झलक ही बजती है तो शायद सिड्यूल नहीं किया जाता होगा) बजने की रोयल्टी १ रूपया है इस तरह का मैंनें भी पढा था पर इस पढी हुई बात को कई साल हो गये है और इसी लेख़में ऐसा भी पढा था कि आकाशवाणी गानो को सिर्फ़ रेकोर्ड या सी डी (ओफिसीयल) ही बजा सकता है , पर निजी एफ एम किसी भी स्वरूपमें बजा सकती है पर इसके लिये भूगतान एक बार के लिये ५ रूपये है । यह प्रस्तूति जब निजी एफ एम स्टेसन्स की शुरूआत होने वाली थी तब की बात है । शायद आज इस दरमें वृद्धि भी हुई होगी । और एक बात यह भी है कि कुछ अप्रप्य गानो के लिये ( रेर) प्रसार भारती और म्यूझिक कम्पनीयों के बीच नये करार के मुताबिक आकाशवाणी को यह स्वतंत्रता मिली हुई है, कि अगर कोई रचना इसके कोई केन्द्र के पास उपलब्ध नहीं है तो वह केन्द्र अपने अन्य केन्द्र से या किसी संग्राहक से भी एम पी २ यानि ओडियो सीडी स्वरूपमें पा कर प्रस्तूत कर सकता है, पर शर्त ये है कि इस गाने कि निर्माण की और म्यूझिक कम्पनी का पूरा व्योवरा उपलब्ध होना चाहिए और उसके मूताबिक़ रोयल्टी देनी होती है ।आपने देरी से ही मगर श्री एनोक डेनियेल्स के बारेमें मेरी पोस्ट पढी और उसकी धूने सुनी की नहीं ? क्यों कि आप धूनमें इन्टेरेस्टेड होते हुए भी आपका देरी से भी कोई प्रतिभाव आया नहीं । हाँ, उन दिनों यानि १६ अप्रिल के आसपास आप थोडी सी रेडियोनामा से अलिप्त जरूर थी ।

annapurna said...

आजकल तो सीडी का ज़माना है पर पहले जब गानों के रिकार्ड खरीदे जाते थे तब रिकार्डों की खरीद के बारे में मैनें सुना था कि कलकत्ता की कंपनी या शायद एचएमवी से ही आकाशवाणी रिकार्ड खरीद सकते है किसी भी कंपनी से खरीददारी नहीं की जा सकती। इसीलिए कई बार स्थानीय केन्द्रों से नई फ़िल्मों के गाने बहुत देर से सुनने को मिलते जबकि विविध भारती पर पहले सुन सकते है और यह रेडियो सिलोन पर लागू न होने से सबसे पहले नए गाने सिलोन पर ही बजते रहे।

Anonymous said...

ऊपर गानों की रायल्टी की जो चर्चा चली है उसमें और रिकार्डों की खरीद में क्या फ़र्क है मैं ठीक से समझ नहीं पा रही हूँ। क्या यूनुस जी, पीयूष जी या कोई और इस बारे में विस्तार से चिट्ठा लिख सकते है।

अन्नपूर्णा

डॉ. अजीत कुमार said...

मुझे लगता है कि ये आकाशवाणी और दूसरे रेडियो स्टेशनों का अंदरूनी मामला है.

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