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Thursday, April 3, 2008

आधी सदी से कई सदियों तक गूँजे विविध भारती

हम जिस तरह से अपने माता-पिता के साथ रहते महसूस ही नहीं कर पाते कि उनकी हमारे लिए क्या अहमियत हैं या यूं कहें कि मॉं-बाप अपने बच्चों को अपनी अहमियत नहीं जताते,बस वैसा ही रोल विविध भारती ने हम सब की ज़िंदगी में निभाया है।
सुबह से देर रात तक निहायत फोकट में मिलने वाली सुरीली चाशनी का
दूसरा नाम विविध भारती है।
पं. नरेन्द्र शर्मा की कल्पनाशीलता से रचा गया नाम विविध भारती आकाशवाणी के रीजनल,रूटीन और धीमे प्रसारण के सामने पचास साल से खड़ा करोड़ों श्रोताओं ख़ासकर आम आदमी की ज़िंदगी का ख़ूबसूरत हमसफ़र बना रहा है।

अमूमन देखा है कि जब-जब किसी चुनौती, प्रतिस्पर्धा और लक्ष्य लेकर कोई काम को हाथ में लिया जाए तो उसे क़ामयाबी मिलती ही है। विविध भारती भी रेडियो सिलोन के सामने एक चुनौती लेकर ही रेडियो प्रसारणों की दुनिया में उभरा और छा गया।पं. नरेन्द्र शर्मा जिन्होंने हिन्दी कविता से लेकर फ़िल्म विधा में भी सहजता से काम किया था, विविध भारती के "आदि देव' कहे जाते रहे हैं।
इन पचास बरसों विविध भारती का सफ़र निर्बाध यदि चल पाया है तो उसमें फ़िल्मों के सुनहरे और
(४७ से ७७) के संगीत का महत्वपूर्ण योगदान है। कई फ़िल्मों के नामों, उनकी कहानियों और कलाकारों को यदि दर्शकों के ज़हन में जगह मिली तो उसका श्रेय विविध भारती से बजते गानों को है।
फ़िल्म संगीत को विविध भारती ने जिस करीने से रेडियो सेट्स पर जारी किया है
वह एक सुघड़ गृहणी के सलीके से लज़ीज़ खाना परोसने जैसा है।

इन पचास सालों में विविध भारती के सामने उसके ही अपने महकमे
प्रसार भारती ने एफ़एम लाइसेंस की झड़ी लगाकर एक नया तूफ़ान बरपा दिया है,
लेकिन विविध भारती के सुनने वाले जानते हैं कि यह सुरीला प्रसारण संस्थान एक मुस्कुराती चट्टान बन कर इस तूफान को भी झेल रहा है।
माखन-मिश्री के लड्डू के आगे आखिर सेंडविच की क्या बिसात।
विविध भारती की मिठास कायम है और उस पर फ़रमाइशी पत्र लिखने वालों
से कई गुना ज़्यादा मुरीद बहुत ख़ामोशी से उसके हमराही हैं।
विविध भारती अपने मोहल्ले की वह ख़ूबसूरत बला सी है, जिस पर कई-कई प्रेमी दिल निछावर करते हैं।
विविध भारती की खासियत ज़िंदगी के उस नमक की मानिंद है
जिसका होना ज़िन्दगी के स्वाद में इज़ाफ़ा करता है,

लेकिन जो नज़र नहीं आता। आइये, उसी विविध भारती को सुनते रहें और
अपनी मोहब्बत जताएं और कहें "आधी सदी से कई सदियों तक गूंजे विविध भारती

4 comments:

Yunus Khan said...

विविध भारती में हूं इसलिए नहीं बल्कि तटस्थ भाव से लिख रहा हूं । आजकल छु्ट्टी पर हूं और लगातार रेडियो सुन रहा हूं । एफ एम चैनलों को थोड़ा-सा सुनकर ऊब जाता हूं और सबसे ज्‍यादा विविध भारती सुनता हूं । एक श्रोता की हैसियत से । कभी सोचा नहीं था कि माईक्रोफोन के इस ओर आने का मौक़ा मिलेगा वो भी विविध भारती में । लेकिन जब आ ही गया हूं तो इस सौभाग्‍य के साथ कोई समझौता नहीं करता ।

Anita kumar said...

आमीन ! विविध भारती के कई सौ साल मनाए यही कामना करते हैं ।
विविध भारती की एक और दिवानी

annapurna said...

विविध भारती माखन-मिश्री का लड्डू है नमक है लेकिन ख़ूबसूरत बला नहीं भई…

सागर नाहर said...

आमीन..

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