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Tuesday, April 1, 2008

स्व. वी बलसारा

२४ मार्च के दिन स्व. वी वालसारा, जो यूनिवोक्स, पियानो-एकोर्डियन और पियानो वादक के रूपमें तथा एक संगीतकार के रूपमें (उदाहरण के तौर पर फिल्म करोडपति-मेरे नैना सावन भादों) विविध भारती के माध्यम से जाने पहचाने हुए थे; की पूण्य तिथी थी ।
स्व. बलसारा का प्रिय वाद्य यंत्र हार्मोनियम था और उसे बजाने में आप बडे ही माहिर थे। विविध भारती के पास उनके पुराने विशेष जयमाला की ध्वनि-मूद्रि है। फिल्म दाग में तलत साहब के गीत ऐ मेरे दिल कहीं और चल में उनका बजाया हुआ हार्मोनियम है, जो उन्होंने पैरों से चलने वाली धमण (यह गुजराती शब्द है, पर सागर जी या युनूसजी को अनुरोध है कि इसका हिन्दी बतायें ) ( धमण को हिन्दी में धौंकनी कहा जा सकता है जैसे लुहार आग में हवा करने के लिये काम में लेते हैं- सागर नाहर) वाला दो हाथॊं से बजने वाला हार्मोनियम है। जो पियानो की स्टाईल से बजा है । दूरदर्शन राष्ट्रीय नेटवर्क में कलकत्ता दूरदर्शन द्वारा निर्मीत एक बार उनकी एक या डेढ़ घंटे का साक्षात्कार ग्रेट मास्टर श्रंखला के अंतर्गत प्रस्तुत हुई थी, जिसमें से पता चला था, कि मनोहरी सिंह की तरह वे भी मेंडोलिन बजाते थे, पर बाद में वह छोड़ दिया था ।
एक या दो एल पी उनके वाद्यवृन्द संयोजनमें पाश्च्यात्य संगीत की धूनों पर सितार पर सिंगींग सितार के नाम से प्रस्तूत हुई है, पर इसमें सितार वादक कौन है, वे खुद या अन्य वह स्पष्‍ट नहीं हुआ लगता है।

एक रेकोर्ड उनका भारत के हरेक प्रांतों के लोक संगीत को प्रस्ततु करती है, जिसमें उन्होंने शायद मेलोडिका नामका मूहसे हवा फूक कर बजाये जाने वाला की बोर्ड, जो उस समयका नया साझ था, बजाया था । कलकत्ता के मशहूर हार्मोनियम वादक स्व. ज्ञ्यान प्रकाश घोष के साथ उन्होंने पियानो पर युगलबंधी करते हुए भी उन्होंने एक भारतीय शास्त्रीय रागो को प्रस्तूत किया है, जिनमें से एक दो मेरे निजी संग्रह में आये है। इधर उनकी हार्मोनियम पर बजाई फिल्म श्री ४२० के गीत मेरा जूता है जापानी प्रस्तूत है ।
यहां मैं एक और बात जोड़ना चाहता हूँ, कि यह धून उन्होंने कुछ: साल पहेले ही प्रस्तूत कि है, जब कि रेडियो श्री लंका से मैंने इस गीत की जो धून उनकी ही हार्मोनियम पर ही सुनी थी, उसमें ताल वाद्य को छोड़ अन्य कोई साझ वाद्यवृन्दमें नहीं थे, उसमें पूरा मेलोडी और मूल गाने में बजने वाला शुरूआती और अन्तराल वाद्यवृन्द संगीत उन्होंने ही हार्मोनियम पर प्रस्तुत किया था, जब कि इस धुन में अन्य साझ हाजिर है। मेरे द्वारा दी गयी पूर्व सूचना अनुसार रेडियो श्री लंका हिन्दी सेवा से श्रीमती पद्दमिनी परेराजी ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए उनकी युनिवोक्स पर बजाई धून ठंडी हवाओ में-फिल्म गुमराह से प्रस्तूत कि थी । थोडी तक़नीकी परेशानियों के चलते यह पोस्ट देरी से आयी ।

4 comments:

Yunus Khan said...

जरूरी और सुंदर पोस्‍ट । वी बलसारा को हमारी श्रद्धांजली

अमिताभ मीत said...

वाह क्या बात है. मस्त हो गए ...... बहुत सालों पहले उन्हें बजाते हुए सुना था. उन का जवाब नहीं. श्रद्धांजलि.

annapurna said...

धन्यवाद पीयूष जी, आपकी वजह से हम इन कलाकारों को जान रहे है वरना विविध भारती तो सिर्फ़ धुनें ही सुना देती है।

वी बलसारा को हमारी श्रृद्धांजलि !

सागर नाहर said...

यह धुन सुनते ही मन प्रसन्न हो जाता है.. महान कलाकार स्व. बलसारा जी को हार्दिक श्रद्धांजली।

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