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Monday, March 31, 2008

श्री केरशी मिस्त्री का देहांत



अभी फिछले महिने जिनके जन्म दिन के लिये ०२-०२-२००८ के लिये चिठ्ठा लिखा था और रेडियो श्री लंका से उनके लिये बधाई प्रसारित करवाई थी, वैसे एच एम वी के लम्बे समय स्टाफ कलाकार रहे पियानो और सोलोवोक्स वादक तथा वाद्यवृन्द संयोजक श्री केरशी मिस्त्री साहब दि. ०५-०३-२००८ के दिन मुम्बई के पारसी जनरल अस्पलात की अपनी हड्डी की मरम्मत की प्रक्रिया दौरान ही इस दुनिया छोड़ गये । इस बात की खबर अभी एक हप्ते पहेले यानि वान सिप्ले साहब के निधन के मूझे मिले समाचार के बाद मिले ।
मैं उनको २९ फरबरी २००८ के दिन अस्पताल में मिला था । वे कई बार अमरिका अपने ट्रूप के साथ जा कर स्टेज कार्यक्रम प्रस्तूत कर आये थे ।
उन्होंने वीर बालक फिल्म के कुछ गीत संयोजित किये थे । एच एम वी द्वारा जारी किये गये कुछ वर्झन फिल्मी गानो के वे वाद्यवृन्द संयोजक भी रहे । फिल्म दिवाली की रात का स्व. तलत महेमूद जी द्वारा गाया हुआ गीत संगीतकार स्व. स्नेहल (वासुदेव) भाटकर के सहायक के रूप में उन्होंने स्वतंत्र रूप में कम्पोज किया था, जो स्नेहल भाटकर के संगीत के रूपमें ही जाना गया है , जैसे की फिल्म त्रिदेव का गाना तिरछी टोपी वाले विजय शाह की बजाय कल्याणजी आनंदजी के संगीत के रूपमें ही जाना गया है । रेडियो श्रीलंका ने उनको श्रद्धांजलि के रूपमें उनके वाद्यवृन्द संयोजनमें श्री बहेराम दारूवाला की माऊथ ओरगन पर फिल्म जागते रहो की धून जिन्दगी ख्वाब है प्रस्तूत की थी ।
इधर उनको श्रांजलि के रूपमें उनकी पियानो पर बजाई धून फिल्म प्रेम पर्बत से ये दिल और उनकी निगाहॊ के साये प्रस्तूत है ।

3 comments:

डॉ. अजीत कुमार said...

देहांत की खबर सुनकर अति दुख हुआ. मैनें उस समय भी आपसे पूछा था पर केरशी जी उस समय तक जीवित ही थे.
श्रद्धांजलि के रूप में सुनवाई गई ये धुन मुझे अति पसंद है.

annapurna said...

इस धुन की मैनें अपने एक चिट्ठे में चर्चा भी की थी पर मैं पहले नहीं जानती थी कि यह धुन केरशी जी की है।

केरशी जी को हमारी भाव-भीनी श्रद्धांजलि !

अन्नपूर्णा

mamta said...

ये धुन तो बहुत ही प्यारी सुनवाई आपने।
हमारी श्रद्धांजलि ।

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