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Thursday, July 10, 2008

फिर भी विविध भारती मनोरंजन सेवा ही है ?

जब विविध भारती की शुरूवात हुई तब यह पंचरंगी कार्यक्रम थी - ये विविध भारती है आकाशवाणी का पंचरंगी कार्यक्रम

जहाँ तक मैनें सुना है पंचरंगी कार्यक्रम के पाँच रंगों में एक रंग शास्त्रीय संगीत का, एक रंग लोक संगीत का, एक रंग फ़िल्मी संगीत का, एक रंग सुगम संगीत का और एक रंग मनोरंजक कार्यक्रम जैसे हवामहल का था। यह जानकारी कहाँ तक सच है मैं नहीं जानती।

इसके बाद यह केन्द्र व्यावसायिक हो गया जिससे विविध भारती हो गई विज्ञापन प्रसारण सेवा और बन गई मनोरंजन सेवा। कार्यक्रमों का समय बढा, स्थानीय केन्द्रों से भी प्रसारण शुरू हुए साथ ही कार्यक्रमों में भी परिवर्तन आए।

कहना न होगा कि कार्यक्रमों के स्वरूप में हमेशा से ही परिवर्तन होते गए और बदलते-बदलते आज विविध भारती का एक नया ही रूप हमारी नज़र में है।

पहले अक्सर समाज में जब कार्यक्रमों की बात चलती थी तब विविध भारती के बारे में कहा जाता था - विविध भारती से तो बस चौबीस घण्टे प्यार मोहब्बत के गाने ही बजते रहते है।

विविध भारती का दूसरा नाम ही मनोरंजन था इसीलिए इसे मनोरंजन सेवा कहने में कोई आपत्ति नहीं थी। पर आज हम कार्यक्रमों पर नज़र डालते है तो मनोरंजन सेवा कहने में हिचकिचाहट होती है। हालांकि पहले भी कुछ कार्यक्रम ऐसे थे जिन्हें मनोरंजन की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता था जैसे वन्दनवार - भक्ति संगीत मनोरंजन नहीं है। संगीत सरिता जैसे कार्यक्रम मनोरंजन के लिए नहीं सुने जाते। लेकिन ऐसे कार्यक्रमों की संख्या कम थी और फ़िल्मी गीतों के कार्यक्रमों की संख्या अधिक थी इसीलिए मनोरंजन सेवा मान लिया गया।

पर आज तो कार्यक्रमों का एक अलग ही दौर है। सुबह से शुरूवात करते है। वन्दनवार मनोरंजन की श्रेणी में नहीं आता है। संगीत सरिता शिक्षाप्रद कार्यक्रम है। सेहतनामा कार्यक्रम से हमें जानकारी मिलती है और हैलो डाक्टर से तो सलाह मिलती है। आज के मेहमान और इनसे मिलिए जैसे कार्यक्रमों से हमें विशिष्ट व्यक्तियों और उनके काम का परिचय मिलता है।

इसी तरह यूथ एक्सप्रेस और सखि-सहेली युवाओं और महिलाओं के लिए सूचना परक कार्यक्रम है। लोक संगीत हमारी संस्कृति है। यह सभी कार्यक्रम मनोरंजन की श्रेणी में नहीं आते।

मनोरंजन के कार्यक्रम है - भूले-बिसरे गीत, त्रिवेणी, सुहाना सफ़र, हैलो फ़रमाइश, जयमाला, हवामहल, एक ही फ़िल्म से, छाया गीत, आपकी फ़रमाइश। क्या इन्हीं मुट्ठी भर कार्यक्रमों से विविध भारती का परिचय है ? नहीं ! नहीं !! नहीं !!!

फिर आज भी विविध भारती सेवा को सिर्फ़ मनोरंजन सेवा ही क्यों कहा जाता है ? क्या फिर से इसे पंचरंगी कार्यक्रम या किसी और नाम से सुशोभित नहीं किया जा सकता।

2 comments:

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री अन्नपूर्णाजी,

आपने जो कार्यक्रमों को मनोरंजन कार्यक्रमोंकी गिनती से बाहर रखा है, वे मूल रूपसे प्राईमरी चेनल्स के कार्यक्रम है, पर पूराने जमानेमें जब इस प्रकार के कार्यक्रम प्राईमरी चेनल्स पर होते थे, तब मेहमान या तबीब की पसंद के गाने (आकाशवाणी अहमदाबाद के संगीत शिक्षा के कार्यक्रमको छोड) प्रस्तूत नहीं होते थे, जबकी विविघ भारती का मक्सद है मनोरंजन और मनोरंजन के साथ शिक्षा । जैसे फायदेमंद कडवी दवाई को चीनी का लालच दे कर बच्चों (बडे और बूढे बच्चों भी) को पिलाना । इस रूप से मनोरंजन सेवा कहना सार्थक है ।

पियुष महेता
सुरतघ-३९५००१.

bharodiya said...

विविध भारती मेरी गुरु थी । हिन्दी मैने इससे सिखी । एक समय था जब रेडियो मेरे कंधे से लटकता रहता था । बिना रेडियो लिए किसी प्रसंग में जाना अधुरा सा था । काम करते समय रेडियो पास में पडे बजता रहता था । फरमाईशी प्रोग्राम में जुमरीतलैया का नाम उस समय सुना था, बार बार और फौज वालों के हर ओहदे का नाम भी रेडियो ही बताता था ।
रेडियों की सुनहरी यादों के सिवा मेरे पास अब कुछ नही बचा । टीवी भी भूला चुका हूं......

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