नाट्य तरंग - जैसा मधुर नाम वैसा ही कार्यक्रम।
रेडियो के जिन कार्यक्रमों को तैयार करने में बहुत ज्यादा मेहनत लगती है वे है - रूपक और नाटक। विविध भारती पर पहले रूपक विशेष रूप से विशेष अवसरों पर बहुत प्रसारित होते थे। आकाशवाणी का तो रूपकों और नाटकों का राष्ट्रीय प्रसारण होता रहा। अब तो रूपक यहाँ तक की स्थानीय केन्द्रों से भी कम ही हो गए है पर नाटकों का प्रसारण अब भी है।
रूपक से अधिक दिलचस्पी आम आदमी की नाटकों में होती है शायद इसीलिए नाटकों का चलन कम नहीं हो पाता है। स्थानीय केन्द्रों से स्थानीय लेखकों के नाटकों का प्रसारण होता है तो वहीं विविध भारती पर ख्याती प्राप्त लेखकों के नाटक सुनने को मिलते है।
विविध भारती पर नाटक तो बहुत समय से प्रसारित हो रहे है पर जहाँ तक मेरी जानकारी है यह नाटक प्रहसनों और झलकियों के रूप में हवामहल, अपना घर जैसे कार्यक्रमों तक ही सीमित रहे और नाटक के रूप में तथा कहानियों के नाट्य रूपान्तर के रूप में भी हवामहल में प्रसारित होते रहे। इस तरह नाट्य तरंग कार्यक्रम हवामहल, जयमाला, संगीत सरिता की तरह पुराना कार्यक्रम शायद नहीं है।
नाट्य तरंग शनिवार और रविवार को दोपहर साढे तीन बजे से चार बजे तक प्रसारित होता है। इसमें हिन्दी के नाटकों के साथ-साथ हिन्दी के उपन्यासों का भी नाट्य रूपान्तर किया जाता है साथ ही नए पुराने सभी लेखकों को शामिल किया जाता है जैसे शिवानी के उपन्यास कृष्णकलि का रेडियो नाट्य रूपान्तर बहुत अच्छा रहा।
हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं के नाटकों के हिन्दी अनुवाद और कहानियों उपन्यासों के हिन्दी रेडियो नाट्य रूपान्तर भी प्रसारित होते है। बंगला भाषा से विषेषकर रविन्द्रनाथ टैगोर और शरतचन्द्र तो पहले से ही शामिल रहे। बाद में उड़िया, मराठी, असामी जैसी भाषाओं का साहित्य भी शामिल हुआ अब तो दक्षिण भारतीय भाषाओं का साहित्य भी निरन्तर शामिल हो रहा है। पिछले दिनों मूल तमिल नाटक का हिन्दी अनुवाद आपकी बेटी शीर्षक से प्रसारित किया गया जिसके निर्देशक थे चिरंजीत।
यह एक अच्छा कार्यक्रम है जिसके द्वारा अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य का भी हमें आनन्द मिलता है। कुछ साल पहले यह कार्यक्रम हैदराबाद में सुनने को नहीं मिल रहा था शायद इसका प्रसारण सीमित क्षेत्र तक ही था। आशा है आगे भी यह कार्यक्रम जारी रहेगा और देश के अधिकांश भागों में सुनने को मिलेगा।
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Tuesday, July 22, 2008
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7 comments:
चूंकि मेरा भी रेडिया से जुडाव रहा है, इसलिए मैं इस चीज को भलीभांति समझता हूं। वैसे अपनी अनेक विज्ञान कथाओं को रेडियो के हिसाब से रूपान्तरित कर चुका हूं।
नाट्यतरंग ने कई अनमोल-मोती दिये हैं । मुझे बहुत सारे नाम याद आ रहे हैं--आबिद सुरती की कृति पर आधारित-'बहत्तर साल का बच्चा'
(पं.विनोद शर्मा के बेहतरीन अभिनय से सजा) रफिया मंजुरूल अमीन की कृति पर आधारित 'आलमपनाह'। देवकीनंदन खत्री की कृति'भूतनाथ', टैगोर की कृति'गोरा',ओ हेनरी की अनगिनत कहानियां, ओह लिस्ट तो एक अलग पोस्ट की डिमांड करती है ।
एक दुखद खबर मिली है । रफिया मंजुरूल अमीन का पिछली आठ तारीख को हैदराबाद में इंतकाल हो गया । हैरत है अन्नपूर्णा जी आपसे ये खबर कैसे छूट गयी । कल मैं उनके निधन पर एक श्रद्धांजली पोस्ट लिख रहा हूं ।
हैरत मुझे भी है युनूस जी कि यह ख़बर मुझे आपसे मिल रही है जबकि मुझे यह ख़बर आप सबको देनी चाहिए थी।
हालांकि नाट्य तरंग ने मुझे कभी उतना तरंगित नहीं किया पर मैं कभी कभार इसे सुन ही लेता हूँ.
अजीत भाई पुराने ज़माने के नाट्यतरंग लाजवाब होता था जिसमें ऐजेन्सियों ने कार्यक्रम बनाए थे ।
Dr Prakash Kumar
Class 7 (1999) SE Mae नाट्यतरंग sunta aaraha hu
Mae exam ke time apni copy 10min pahle jamma KAR ke natak sunne ke lie ghar bhagta tha
नाट्यतरंग NE mere life me bhut prabhaw chora
Aaj Mae ek DOCTOR aur aksar is program ki recoding pane ke lie search karta hu lekin aaj tak nhi mili
Kya aap log koi link baata sakte hi jahae SE Mae नाट्यतरंग ke recoding su saku
"Duniyake Usa par " kar ke eka programme sunatha aur Muze bahut pasand ayat kisaka likha hua hai Ple batatho sie
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।