श्री कमलजी, आपने जो भी चित्र खडा किया वह पूरा सही और यथायोग्य है और युनूसजीने जो निजी एफ़.एम. रेडियो चेनल्स को जो समाचार और साम्प्रत विषयो पर कार्यक्रम की छुट देने पर खडे होने वाले भयस्थानों का जिक्र किया है वह टी.वी. समाचार चेनल्स की हाल की गतिविधीयाँ देख कर और पढ़ कर बहोत ही सही दिखती है।
आपको याद होगा कि मैनें आपको एक मेईल करके क्षेत्रीय भाषाओं के लिये हाल जो मध्यम तरंग रेडियो प्रसारण पर आकाशवाणी ज्यादा निर्भर रहेती है और बहोत ही कम एफ. एम. खण्ड समयावधि वाले स्थानिय रेडियो केन्द्र आकाशवाणी के रहे है । तो जैसे राष्ट्रीय मनोरंजन सेवा विविध भारती के लिये चार मेट्रोज को छोड कर रा्ष्ट्रीय एफ़. एम. नेटवर्क मिला है, हर राज्यो के मुख्य प्राइमरी केन्द्रों के भी सम्बंधित राज्यव्यापी एफ़. एम. नेटवर्क स्थापित होने चाहिए, जिससे देश के हर कोनेमें लोग अपनी भाषाके क्षेत्रीय समाचार बुलेटीन, क्षेत्रीय भाषाओमें राष्ट्रीय समाचार बुलेटीन और क्षेत्रीय नाट्य, सुगम और फ़िल्मी संगीत (जिसका काफ़ी अमूल्य संग्रह हर राज्यो के मुख्य आकाशवाणी केन्दो के पास है), केबल या डी. टी. एच. के बिना बेटरी से चलने वाले रेडियो या एफ़. एम.रेडियो वाले मोबाईल फोन पर भी सुन सके । हाँ एक बात है, कि निजी चेनल्स को हम अनुसासन सिखाते है, तब यह भी जरूरी है, कि आकाशवाणी के हर बुलेटिन भी प्रधान मंत्री या सत्ता में रही राजकीय पार्टी के अध्यक्ष को ले कर शुरू नहीं होने चाहिए । नहीं तो लोगो के ऊब जाने की भी सम्भावना रहेगी, जैसे शहरोमें निजी समाचार केबल टी. वी. चेनल्स के साथ होना शुरू हो गया है ।
पियुष महेता।
सुरत-३९५००१.
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Saturday, September 29, 2007
क्षेत्रीय भाषाओं के राज्यव्यापी एफ. एम. रेडियो चेनल्स
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2 comments:
बिल्कुल ठीक कहा आपने विपुल जी
सजीवजी,
आपने पियुष को विपुल बना दिया ।
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।