आज जब इंडिया और पकिस्तान का twenty-२० का मैच आ रहा था तो कुछ बहुत पुरानी बातें जो रेडियो से जुडी है याद आ गयी। आज के मैच मे जब पहली बॉल पर ही भारतीय बल्लेबाज आउट होने से बचे तो हमने टी.वी.पर चैनल बदल दिया क्यूंकि हमे लगा की कहीँ ये यंग टीम इंडिया कुछ गड़बड़ ना कर दे। पर फिर दो मिनट बाद वापिस चैनल लगाया तो देखा कुछ १५ रन बन गए थे । अभी हम सोच ही रहे थे की पांच मिनट मे फिर एक विकेट गिर गया। और ऐसे ही हमने चैनल बदल-बदल कर पूरा मैच देखा और आख़िरी १३ रन तो देखने की हिम्मत ही नही हुई क्यूंकि उस समय तो ये लग रहा था की अब तो मैच गया ही पर पांच मिनट बाद जबटी.वी. चलाया तो देखा की सारी टीम ख़ुशी से उछल रही है। तो हम भी फिर से टी.वी.के सामने चैन से बैठ गए और उनका सेलिब्रेशन देखते रहे और खुश होते रहे।
जब पहले टी.वी.नही था और क्रिकेट मैच होता था तो हमारे बाबा जिन्हे हम लोग बाबूजी थे पूरे समय ट्रांजिस्टर सुना करते थे। मजाल है की कोई उस समय कुछ और सुन ले । कई बार तो वो जिस पोजीशन मे बैटे होते थे उसी मे बैठे रहते की अगर वो अपनी जगह से हिलेंगे तो विकेट गिर जाएगा।ना खुद हिलते और ना ही ट्रांजिस्टर को हिलाने देते। मानो भारतीय बल्लेबाओं का तो खेलना कोई माने ही नही रखता हो।पर वो क्रिकेट के लिए दीवानगी ही थी। पर जहाँ भारतीय बल्लेबाज आउट होने लगते थे बाबूजी फटाक से ट्रांजिस्टर या तो बंद कर देते थे या फिर कोई और कार्यक्रम लगा देते थे।भले ही कुछ भी आ रहा हो।
और तब पापा और भैया नाराज होते थे की क्या बाबूजी आप ट्रांजिस्टर क्यों बंद कर रहे है।
तो बाबूजी कहते कि बंद करो वरना भारत मैच हार जाएगा। देखते नही कितना पिट रहे है। उस समय देखने का मतलब कमेंट्री सुनना होता था।
तब कई बार भैया और पापा या तो घर के अन्दर वाले रेडियो पर या दूसरे ट्रांजिस्टर पर कमेंट्री सुनते थे।
और खुदा ना खास्ता अगर कोई विकेट गिर जाता था तो बाबूजी सारा दोष भैया और पापा पर ही लगाते और कहते कि इसीलिये तो हम कह रहे थे कि ट्रांजिस्टर बंद करो। पर तुम लोग मानते ही नही हो। देखना अब तो मैच हार ही जायेंगे।
इतना ही नही अगर भारत मैच जीत जाता था तो भी बाबूजी उसका श्रेय अपने द्वारा ट्रांजिस्टर बंद किये जाने को देते थे। ये कहकर कि देखा हमने ट्रांजिस्टर बंद करा था ना इसीलिये जीत गए। और साथ ही ये भी कहते कि ये तो हमारा टोटका था।
आज हमने भी बाबूजी वाला ही टोटका इस्तेमाल किया था। क्यूंकि हमे भी लग रहा था कि आज जब हम मैच देख रहे है तो कहीँ इंडिया हार ना जाये।
और हाँ एक बात और जब इंडिया आज मैच जीती तो हमने अपने पापा को इलाहाबाद फ़ोन किया और जब हमने पापा से कहा कि हमने आख़िरी ओवर नही देखा क्यूंकि हमे डर था कि कहीँ इंडिया हार ना जाये तो पापा ने कहा कि वो भी बाहर उठकर चले गए थे क्यूंकि आख़िरी ओवर की पहली बॉल पर जब चक्का पड़ा था और फिर जब सिर्फ ६ रन बचे थे तो उन्हें भी यही लगा की अब तो मैच गया। पर जब पटाखों की आवाज आयी तो टी.वी.पर देखा कि इंडिया जीत गयी है। तब बात ही बात मे पापा ने कहा कि आज लग रहा है कि बाबूजी उस समय कमेंट्री सुनते-सुनते विकेट गिरने पर या इंडियन टीम के हार के करीब होने पर क्यों ट्रांजिस्टर बंद करने को कहते थे।
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8 comments:
वो ही मैं सोच रहा था कि आखिर फिसल गया मैच फिर से हाथ में कैसे आ गया तो ये आपका और बाबू जी का टोटका था. बहुत साधुवाद और आभार, आपने भारत को जितवा दिया.
आपको भी कोई रत्न से नवाजा जाना चाहिये-टोटका रत्न कैसा रहेगा. :)झारखण्ड रत्न तो धोनी हो लिये.
अच्छा है। हर दूसरे घर में कुछ इसी तरह के टोटके इस्तेमाल होते हैं। मोहम्मद कैफ़ के पिताजी भी जब
खेल होता है तो टीवी नहीं देखते।
बाबूजी को तो छोड़िए, बुजुर्ग हैं, पुराने ज़माने के हैं। हकीकत ये है कि इंफोसिस के चीफ मेंटर नारायण मूर्ति तक इस तरह के टोटके मानते हैं। मैंने पढ़ा था कि उनको लगता है कि उनके मैच देखने से भारत हार जाता है।
हमारे यहां भी क्रिकेट मैच के दौरान कितने टोटके माने जाते हैं ।
उस दिन न्यूज़ीलैन्ड मैच से पहले एन डी टी वी के एंकर और अजय जडेजा दोनों कोट पैन्ट पहनकर नहीं आए
बल्कि सादा कपड़ों में आए और ये बोला कि जब भी हम कोट पैन्ट पहनकर विश्लेषण करते हैं टीम हार जाती है ।
इस टोटके के बावजूद उस दिन भारतीय टीम न्यूज़ीलैन्ड से हार गयी । यानी टोटके केवल दिल को दिलासा देने के
लिए होते हैं । दरअसल क्रिकेट से हम इतना भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं कि टीम को हारते हुए नहीं देख सकते ।
इसीलिए टोटके आज़माते हैं । कल किसी पेशेवर व्यस्तता ने मुझे मैच की एक बॉल भी नहीं देखने दी । लेकिन आज
रिपीट टेलीकास्ट में पूरा मैच घबराते हुए देखा जबकि नतीजा पता था । भारत की एक शानदार जीत सबको मुबारक हो
समीर जी बहुत-बहुत धन्यवाद . :)
अनूप जी,अनिल जी,यूनुस जी वाकई में ये सब तो मन को बहलाने के तरीके है. पर इस सबका भी अपना अलग ही मजा है. :)
ममताजी सच कहूं तो मैने भी यह टोटका कल आजामाया था, यानि टीवी पर तो नहीं पर नेट पर भी स्कोर नहीं देखा।
क्यों कि जैसा अनिलजी ने बताया नारायण मूर्तीजी की तरह मेरे साथ कई बार हो चुका है कि जिस दिन मैने मैच पहली पारी में देख लिया उस दिन... :(
भारत की विजय आप सब को मुबारक हो
इस तरह के टोटके हम सब के घरों मे चलते ही है , सिर्फ़ इसलिए कि हम अपनी टीम की हार नही चाहते!!
बधाईयां सबको!!
मेहनत के आगे टोटके बेकार होते हैं। यदि टोटके से सब होता तो हर आदमी चाहता कि मेहनत और कार्य न करुं और देश का प्रधानमंत्री या विश्व का अमीर आदमी बनने का टोटका खोजता। जीतता वही है जो मेहनत करता है सही रणनीति के साथ।
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