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Wednesday, September 26, 2007

ढोलक के गीतों की दुनिया में लोगा खो गए मा

अपने पिछले लेख ढोलक के गीत में टिप्पणियां पढी तो मन ये गाने को कर रहा है -

लोगा खो गए मा इंटरनेट की दुनिया में
लोगा खो गए मा

इधर देखी उधर देखी रेडियोनामा की गलियां
हाय लोगा मिल गए मा ढोलक के गीत के चिट्ठे पे
लोगा मिल गए मा

बहुत अच्छा लगा आप सब की टिप्पणियां पढ कर, अफ़लातून जी, सागर जी, ममता जी, ऊड़न तश्तरी जी और यूनूस जी। जवाब छोटा नहीं है इसलिए टिप्पणी न लिख कर अगला चिट्ठा लिख रही हूं।

बाज़ार फ़िल्म की शूटिंग अस्सी के दशक में हैदराबाद में हुई थी। फ़िल्म की पृष्ठभूमि हैदराबाद की है। विषय है शादी-ब्याह्। इस मौके के लिए एक ढोलक का गीत चुना गया। उस समय ये चर्चा थी कि ये गीत अर्जुमन नज़ीर या कनीज़ फातिमा ही गाएगें लेकिन बात बनी नहीं।

ये गीत गाया पैमिला चोपड़ा और साथियों ने। आर्केस्ट्रा का भी प्रयोग हुआ जबकि ये गीत ढोलक पर गाए जाते है और हारमोनियम का हल्का प्रयोग होता है। नतीजा ये हुआ कि गीत पारम्परिक नहीं बना। लाख कोशिशों के बावजूद भी बंबइया रंग साफ़ नज़र आया। फिर भी जिन लोगों ने ढोलक के गीत पहले नहीं सुने वे ये गीत सुन सकते है जिससे ये अंदाज़ा हो जाएगा कि ढोलक के गीत होते कैसे है। तो यूनूस जी विविध भारती में बाज़ार फ़िल्म के गीत तो है ही। पैमिला चोपड़ा और साथियों का ये गीत आप तुरन्त यहां सुना सकते है।

दूसरी बात कि विविध भारती के ही एक कार्यक्रम सखी-सहेली में एक दिन कांचन (प्रकाश संगीत) जी ने एक झलकी प्रस्तुत की थी जिससे एक ढोलक का गीत जुड़ा था। पूरा गीत तो मुझे याद नहीं है सिर्फ़ मुखड़े की एक पंक्ति और कुछ अंतरा याद है -

सुनो मुहल्ले वालों मेरी काली मुर्गी खो गई मा

मिर्ची का सालन घी के पराठे
काली मुर्गी खो गई मा

हो सकता है कि कांचन जी के पास कुछ गीत हो।

तीसरी बात, आप विविध भारती से सीधे आकाशवाणी हैद्राबाद संपर्क कर सकते है जिससे गीतों की मूल रिकार्डिंग आपको मिल जाएगी। हां एक बात और वहां इस समय एक कलाकार (तबला वादक) काम करते है - जावेद साहब जो कनीज़ फ़ातिमा के सुपुत्र है। उनके पास ज़रूर अपनी मां के गाए गीतों का संग्रह होगा और जिन्हें वे शायद सीधे देने के बजाए कार्यालय से देना पसंद करेंगें।

इन सब में यूनूस जी आपको तक्नीकी सुविधा बहुत रहेगी। तो बस इंतज़ार कर रहे है हम…

1 comment:

Yunus Khan said...

अन्‍नपूर्णा जी प्रयास अवश्‍य करूंगा कि इस मुश्किल काम को मुमकिन कर पाऊं ।
सुनने को लालायित हूं इन गीतों को ।

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