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Tuesday, January 15, 2008
दिल नाउम्मीद तो नहीं , नाकाम ही तो है: त्रिवेणी
दिल नाउम्मीद तो नहीं , नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम , मगर शाम ही तो है ।
तीन चार दशक पहले के गीतों में जैसे कभी कभी एक शेर के बाद गीत शुरु होता था ! लेकिन यह गीत उतना पुराना नहीं । 1942 - A Love Story का है । इस शेर की पहली पंक्ति से समतावादी विचारक ओमप्रकाश दीपक की बात याद आ जाती है : 'हार सकता हूँ , बार - बार हार सकता हूँ लेकिन हार मान कर बैठ नहीं सकता हूँ ।'
रेडियोनामा की इस प्रविष्टि के पीछे प्रेरणा है विविध भारती के कार्यक्रम त्रिवेणी की । जिससे जुड़ कर कोई कम्पनी अपने इश्तेहार में पूछती है : "सुबह सुबह पौने आठ बजे त्रिवेणी सुनते हैं या नहीं ? दिन खुश हो जाता है" त्रिवेणी में एक थीम पर तीन गाने होते हैं जिनके बीच में युनुस भाई या उनके बन्धु - बान्धव तीनों गीतों को पिरोने वाले सूत्र के रूप में तत्त्व-चर्चा करते हैं । सिर्फ़ तीन गीतों का छोटा सा कार्यक्रम , पन्द्रह मिनट का । तत्व - चर्चा के काबिल मैं खुद को नहीं मानता ।
दूसरा गीत दूर का राही फिल्म का है , किशोर कुमार की आवाज में- 'पंथी हूँ मैं उस पथ का , अंत नहीं जिसका' । धुन और बोल रवीन्द्रनाथ ठाकुर के एक गीत से प्रेरित हैं। आपात काल के दौरान मेरे भाई के मित्र राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ के तत्कालीन प्रचारक और बाद में पांचजन्य , माया और अमर उजाला से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार प्रबाल मैत्र वह एल पी रेकॉर्ड मेरे घर लाये थे । इस गीत को बार बार सुनते थे । मेरी माँ ने सुनते ही उसका मूल गीत बता दिया था । हिन्दी फिल्मों में कई ऐसे गीत लोकप्रिय होते थे जिनकी धुन पर बने बाँग्ला गीत दुर्गा पूजा के समय जारी हो चुके होते थे । यह गीत ऐसे गीतों से कुछ अलग है । उन गीतों की धुन आम तौर पर बंगाली संगीतकारों की होती थी। यह गीत तो गुरुदेव के गीत से सीधे प्रेरित है। तलत महमूद का गाया 'राही मतवाले' ( ओ रे, गृहवासी ,खोल द्वार खोल ,लागलो जे दोल) ,किशोर कुमार का ही - 'छू कर मेरे मन को' (तोमार हलो शुरु ,आमार हलो शारा) आदि गीत रवीन्द्र संगीत से प्रेरित हैं ।
त्रिवेणी के इस संविधानेतर अंक का अन्तिम गीत भी किशोर कुमार की आवाज में है । १९६४ में जारी फिल्म 'दूर गगन की छाँव में ' फिल्म का शैलेन्द्र का लिखा गीत 'आ चल के तुझे , मैं ले के चलूँ इक ऐसे गगन के तले '। इस गीत की शुरुआत में हो बाँसुरी बज रही है वह फिल्म में ७-८ वर्ष का एक गूँगा बालक बजा रहा है। रिलीज होने के दो तीन साल बाद जब मेरे विद्यालय में यह दिखाई गई थी तब मेरी उम्र भी उतनी ही थी इसलिए मेरे बाल मन को यह गीत और पूरी फिल्म छूती थी । गीत में माउथ ऑर्गन के प्रयोग ने भी उसे आकर्षक बनाया होगा क्योंकि मेरे भाई काफ़ी अच्छा माउथ ऑर्गन बजाते हैं । साज की बात चली है तो साज और आवाज जैसे कार्यक्रमों की चर्चा जरूरी है। रेडियो सिलोन और विविध भारती दोनों पर वाद्य यन्त्रों (माउथ ऑर्गन,गिटार,पियानो एकॉर्डियन,सैक्सोफोन आदि पर फिल्मी गीतों की धुन बजाई जाती थी। एनॉक डैनियल ,मदन कुमार,और सलिल गाँगुली जैसे कलाकारों के बस अब नाम याद हैं,उनके बजाए गीत अब नहीं सुनाए जाते।
अन्तिम गीत की यह पंक्तियाँ -
कहीं बैर न हो ,कोई गैर न हो
सब मिल के यूँ चलते चलें
ऐसी बातों को छद्म सेक्युलरवाद कहने वाली जमात तब काफ़ी कमजोर रही होगी। वह जुमला(छद्म सेक्युलरवाद) भी बाद में पैदा हुआ ।
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9 comments:
सुंदर चयन| धुन और शब्दों का सुक़ून भरा संगम।
आभार
३ गीत ,तीनों ही उम्दा ..सुनकर सुकून मिला --
अफलातून जी बेहतरीन शुरूआत । बेहतरीन । हम चाहेंगे कि जो लिखा है उसे भी आप एक लॉईफलॉगर पर पढ़ डालते । एक प्लेयर पढ़ने का एक गाने का । वाह वाह क्या आयडिया है । हम इंतज़ार कर रहे हैं आगे की त्रिवेणी का ।
Radionamaa par triveni ki shuroovaat karane ki badhai.
shubhakaamnaay
SSneh
annapurna
मजा आ गया , गीतों के चयन और त्रिवेणी पर।एक नई शुरुआत करने के लिये बहुत बहुत बधाई।
सबसे पहले वाले गीत को सुनने पर लगता है मानों डॉ भूपेन हजारिका की आवाज हो, पर जब खोजा तो पता चला कि यह आवाज शिवाजी चटोपाद्याय की है।
बढ़िया गीतों का चयन किया आपने। पर मुझे पिछले कुछ दिनों से लग रहा है कि रेडिओनामा ने विविध भारती छोड़ कर रेडिओ के बाकी रूपों को बिलकुल ही अछूता छोड़ दिया है। ना ही कोई बहस इस संबंद्ध में हुई कि किस तरह रेडिओ नए बदलते समाज में एक बहुत प्रभावी भूमिका अदा कर सकता है।
मनीष जी, बात तो आपकी ठीक है, पर रेडियोनामा विविध भारती की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर शुरू किया गया है और दूसरी प्रमुख बात कि अगर हम रेडियो के दूसरे केन्द्रों के बारे में विचार करते भी है तब भी जाने-अनजाने विविध भारती से जुड़ ही जाते है। मेरा तो यही अनुभव है।
अन्नपूर्णा
बहुत शानदार, तीनो गीत बहुत शानदार है। खासकर
पहला गीत (ये सफ़र बहुत है कठिन.... )
और तीसरा गीत (आ चल के तुझे....)मेर पसंदीदा गीतों मे से है।
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