पिछले सप्ताह ममता (टी वी) जी ने सांप के बारे में एक पोस्ट लिखी जिस पर चर्चा चली। मैंने भी टिप्पणी लिखी।
मुख्य बात ये रही कि सांप को मारने पर क्या सांप की आंखो में मारने वाले की तस्वीर रह जाती है। इससे मुझे याद आया लगभग दो वर्ष पहले विविध भारती से प्रसारित एक फोन-इन कार्यक्रम - हैलो बाँलीवुड
शुक्रवार को प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में फ़िल्मों के किसी मुद्दे पर बात होती थी। इस फोन-इन कार्यक्रम में श्रोताओं से बात करते थे अमरकान्त दुबे।
इसमें विषय था नागिन के संबंध में, जैसा कि फ़िल्मों में दिखाया जाता है कि नाग को मारने वाले की तस्वीर उसकी आंखों में देख कर नागिन बदला लेती है।
यही तो मुद्दा है जो ममता जी ने अपने चिट्ठे में उठाया। मैनें अपनी टिप्पणी में जो भी लिखा वही सब मैनें अमरकान्त (दुबे) जी से भी फोन पर कहा। मेरे अलावा बहुत से लोगों ने इस कार्यक्रम में अपने अनुभव बताए।
जो बात फ़िल्मों के माध्यम से चर्चा का विषय बनी उसे ममता जी ने वास्तविक रूप से उठाया।
मैं अनुरोध कर रही हूं अमरकान्त (दुबे) जी से कि अगर विविध भारती में इस कार्यक्रम की रिकार्डिंग उपलब्ध हो तो कृपया यहां प्रस्तुत कीजिए जिससे सभी इसे सुन सकें।
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Wednesday, January 2, 2008
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2 comments:
जब ऐसे ही किसी रोमांचक विषय की वास्तविकता जानने को मिलती है तो अच्छा लगता है। ऐसा करने से लंबे समय से चल रहीं कईं भ्रांतियां भी टूटती हैं।
शुभकामऩाएं
डा प्रवीण चोपड़ा
नया साल मुबारक हो।
प्रतीक्षा रहेगी उस रेकॉर्डिंग को सुनने की।
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।