शीर्षक पढ़ते ही आपमें से कुछ लोगों के मुंह से निकला होगा - मल्लिका - ए - तरन्नुम - नूरजहां और साथ ही कानों में गूंजने लगा होगा फिल्म अनमोल घडी का गीत -
आवाज दे कहां है
दुनिया मेरी जवां है
फिर एक अंतरे के बाद उभरती सुरेन्द्र की आवाज।
इसी फिल्म का एक और गीत जिसमें तीन आवाजे है - नूरजहां , सुरैया और सुरेन्द्र की। गीत के बोल मुझे याद नहीं आ रहे।
साथ ही एक और गीत याद आ रहा है -
जवां है मोहब्बत
हसीं है समा
ये गीत बहुत पहले फरमाइशी गीतों की तरह बजा करते थे। फौजी भाई तो आवाज दे कहां है की फरमाइश बहुत किया करते थे।
बाद में ये गीत भूले-बिसरे-गीत कार्यक्रम में बहुत बजने लगे थे। अब तो ज़माना बीत गया नूरजहां की आवाज सुने।
वैसे नूरजहां के हिन्दी फिल्मों में गाए गीत कम ही है और वो भी सुनने को नहीं मिल रहे है। आशा है अब सुनने को मिलेगे।
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Monday, January 14, 2008
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3 comments:
नूरजहाँ ने गीत तो जरुर कम गाए है पर जितने भी गाए है वो अगर सुनने को मिले तो आज भी अच्छे लगेंगे।
नूरजहाँ के गाए कुछ गीत तो मैं ज़रूर सुनवाऊँगा ..... जल्द ही. शायद ये वाला भी ......
नूरजहाँ का गाया एक दुर्लभ गीत आ इन्तजार है तेरा दिल बेकरार है मेरायहाँ सुन सकती है
महफिल
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