यह मेरा सौभाग्य है कि आज के दिन मुझे रेडियोनामा पर अपना पचासवां चिट्ठा लिखने का अवसर मिला है।
आज विविध भारती पर प्रसारण की शुरूवात मंगल ध्वनि के स्थान पर बापू के प्रिय भजन वैष्णव वचन से हुई। फिर समाचार के बाद वन्दनवार की शुरूवात में फिर से सुनने को मिला वैष्णव वचन क्योंकि मंगल ध्वनि के स्थान पर प्रस्तुति तो क्षेत्रीय थी। फिर हुई प्रार्थना की बातें।
बापू ने सदैव ही प्रार्थना पर बल दिया। उनका मानना था कि प्रार्थना से ही हम मन, वचन और कर्म से शुद्ध हो सकते है। वन्दनवार की प्रस्तुति ने आज एक बार फिर से जैसे बापू की बातों को दोहरा दिया।
बहुत ही सौम्य प्रस्तुति रही रेणु (बंसल) जी की, सधा हुआ स्वर, सटीक वाक्य, चुने हुए शब्द जैसे प्रार्थना के बोल।
कार्यक्रम की समाप्ति पर गोपाल सिंह नेहपाली का लिखा सुरेश वाडेकर के स्वर में देशगान -
तुम कल्पना करो नवीन
इसके बाद शुरू हुआ क्षेत्रीय प्रसारण जिसमें अर्चना कार्यक्रम में स्वामी कंठानन्द के हिन्दी भक्ति पदों के तेलुगु में अनुवादित पद पी सुशीला और रामाकृष्णा के स्वरों में प्रस्तुत हुए।
फिर बारी आई भूले-बिसरे गीतों की जिसकी शुरूवात आज बलिदान दिवस के अवसर पर देशभक्ति गीत से हुई। विराम (ब्रेक) के बाद बजा उपदेशात्मक गीत और समापन कुन्दनलाल (के एल) सहगल की आवाज़ में सूरदास फ़िल्म के गीत से।
इस तरह आज के विशेष दिन के लिए प्रार्थना, भक्ति, देशभक्ति, समाज के प्रति जागरूकता का संदेश लिए बहुत ही संतुलित रही सवेरे के प्रसारण की शुरूवात।
सबसे नए तीन पन्ने :
Wednesday, January 30, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
पचासवें चिट्ठे की बधाई।
बस इसी तरह आप हम लोगों को रेडियो की बातों से अवगत कराती रहिये।
Post a Comment
आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।