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Tuesday, January 15, 2008

साझ और आवाझ

आज जब त्रिवेणी कार्यक्रम के बारेमें श्री अफलातूनजी की पोर्ट पढ़ रहा था तब रात्री ११ बज कर ५ मिनिट होने वाले थे और इस पोस्ट का अन्तिम भाग जो साझ और आवाझ से सम्बंधित था उसमें उन्होंने जो साझ और कलाकारों का जिक्र किया है उनमें से एक जिन्होंने मूझे धून बजानेवालों में से सबसे पहेले आकर्षित किया था वैसे कलाकार श्री एनोक डेनिएल्स साहब की पियानो एकोर्डिय्न पर बजाई हुई धून जो ज्नकी इ. स. १९६६ की लोन्ग प्ले रेकोर्ड्में से है , फिल्म आयी मिलन की बेला के गीत मैं प्यार का दिवाना श्री राजेन्द्र त्रिपाठी साहब कार्यक्रम विवरण के बाद बजा रहे थे । हा~ यह बात जरूर थी की इस धून के बारेमें कुछ भी बताया नहीं गया और स्वाभाविक है कि सिर्फ़ धूनों के शुरू के आधे हिस्से ही हर हमेश बजते है । और एक कभी कभी ही श्री कमल शर्माजीने अपनी बारीमें सिर्फ़ पियानो बादक ब्रियान सिलास का नाम ही बताया है । यह बात और है कि मैं इस बारेमें अपने बचपनसे ही शोखीन रहा हू~ इस लिये ध्होन सुनते ही साझ और कलाकार मेरे दिमागमें याद आ ही जाते है, और इसी तरह आज भी आ गये । श्री युनूसजी, उनकी घरकी और दफ़तर की साथी श्रीमती ममताजी, श्री कमल शर्माजी, श्री अशोक सोनावणेजी, श्री रेणू बन्सलजी, श्रीमती निम्मी मिश्राजी, श्री महेन्द्र मोदी साहब तथा विविध भारती के अभी बंध हो गये फोन इन कार्यक्रम के नियमीत श्रोतावर्ग तथा रेडियो श्रीलंकाकी श्रीमती पद्दमिनी परेराजी तथा श्रीमती ज्योति परमारजी सब मेरे इस फिल्मी धूनो के शौक़ से पूरे वाकिफ़ है । इस लिये श्री अफलातूनजी से मेरा विनम्र निवेदन है और साथमें इस ब्लोग के युनूसजी को छोड़ और पाठक-गणसे निवेदन है की इस तरह की छुट-मूट की धूनों की प्रस्तूती के अलावा एक फिल्मी धूनोका नियमित कार्यक्रम जो इन माहितीयो~ के साथ प्रस्तूत करने के लिये विविध भारतीको बार बार पत्र्रवलिमें पत्र लिखें । मैं कई बार लिखं चूका हू~ और श्री महेन्द्र मोदी सागब को दो तीन बार रूबरू भी कह चूका हू~ । रेडियो श्रीलंकासे हर शनिवार रात्री करीब ८.३० पर साझ और आवाझ होता है, जो भी एक समय वे लोग बंध करने वाले थे , तभी संयोगसे उस समयकी इस कार्यक्रमकी प्रस्तूतकर्ता श्रीमती पद्दमिनीजी से मेरी इस कार्यक्रमके मेरे शोक़से सुनने के बारेमें मेरी बात हुई, और वहा~ यह कार्यक्रम भूत्पूर्व होते होते बग गया ।
पियुष महेता ।

2 comments:

annapurna said...

पीयूष जी, मैं अपने दो चिट्ठों में विविध भारती पर साज़ और आवाज़ कार्यक्रम दुबारा शुरू करने के लिए अनुरोध कर चुकी हूं।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

आदरणिय श्री अन्नपूर्णाजी,
वो चिठ्ठे मेरी ध्यानमें पूरे पूरे है । पर एक बात आप ध्यानमें रखीये की, यह चिठ्ठे युनूसजी पढ़ कर भी अपने विविध भारतीमें ज्यादा जोर नहीं दे सकते । आप पत्राववि के नाम ई मेईल करे वही बतोत जरूरी है । वीबीएसमुम्बईएट्जीमेईल.कोम पर
पियुष महेता । एक और बात की कल आदरणिय श्री गोपाल शर्माजी एक बार फिर सुरत आनेवाले है ।

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