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Monday, January 21, 2008

एफ.एम.रेडियो और ये गीत

बात उन दिनों की है जब दिल्ली मे रेडियो एफ.एम.शुरू हुआ था और जिसने रेडियो को एक अलग ही तरह का बना दिया था. हर उदघोषक श्रोताओं से बात करता सा लगता थातब के एफ.एम.और आज के एफ.एम मे बहुत कुछ बदल सा गया है. पहले एफ.एम मे लोग बातें तो करते थे पर गीत भी सुनवाते थे पर आजकल तो बातें ही बातें होती हैगीत तो आधे-अधूरे ही सुनवाते है

ये गीत जब कोई बात बिगड़ जाये ,जब कोई मुश्किल पड़ जाये एफ.एम पर नियमित रुप से बजने वाला गीत था
वैसे ये गीत बहुत पुराना नही है नब्बे के दशक की फिल्म जुर्म का हैजुर्म फिल्म तो कोई खास नही चली थी पर ये गीत बहुत चला थाये गाना हमे भी बहुत पसंद हैपहले तो हम इसेरेडियो पर सुनते थे पर आज हम इसका विडियो यहां लगा रहे हैउम्मीद है आपको भी पसंद आएगा







शुरू-शुरू मे एफ.एम.मे दिन भर मे कम से कम तीन से चार बार ये गीत जरुर बजता था पर अब ये गीत कम ही सुनाई देता हैहर उद्घोषक वो चाहे हेलो एफ.एम.का हो या हेलो फरमाइश का हो या आपके ख़त का हो इस गाने को जरुर बजवाता थाऔर ये गाना भी ऐसा है की हर situation पर बिल्कुल फिट बैठता थाकैसे तो वो ऐसे


आपके ख़त कार्यक्रम मे अक्सर लोग (लड़के-लड़कियां)पूछते थे की उनके दोस्त नाराज हो गए है या किसी की गर्ल फ्रेंड रूठ गयी है और उससे बात नही कर रही हैऔर वो उसे कैसे मनाएंतो उदघोषिका उन्हें गर्ल फ्रेंड को मनाने के उपाय बताती थी और ये गाना भी सुनवाती थीऔर साथ ही ये कहती की इस गाने को सुनकर नाराज लोग जरुर मान जायेंगेबॉस नाराज है तो भी ये गीत चल जाता थाकई बार लोग आपनी परेशानियाँ भी बताते थे तो भी उदघोषक ये गीत बजवाते थे


अब पता नही उन लोगों की समस्या हल होती थी या नही पर ये गाना लोगों को खूब सुनने को मिलता था

2 comments:

annapurna said...

ममता जी मुझे भी यह ग़ज़ल बहुत पसन्द है। मैं अक्सर मन चाहे गीत और जयमाला में यह ग़ज़ल सुनती रहती हूं।

Dr Parveen Chopra said...

ममता जी, वैसे भी एफएम का उत्साह जो आज से 10-12साल पहले होता था, वह कुछ कुछ कम होता जा रहा है। कुछ एफएम चैनलों पर तो इतनी फूह़ड़ता परोसी जा रही है, स्टाइल मारे जाते हैं कि लगता ही नहीं कि हम अपने देश के ही किसी रोडियो को सुन रहे हैं. बस यूं ही ही ..ही ...ही ...ही....ही...ही.....इसलिए अब कुछेक को छोड़ कर किसी को सुनने की इच्छा सी ही नहीं होती।
अच्छा है, आप ने एफएम के गोल्डन युग की यादें थोड़ी ताज़ा तो करवा दीं।

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