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Thursday, January 3, 2008

आज सुनिए विविध भारती की स्‍वर्ण जयंती का कार्यक्रम जुबली झंकार IIT मुंबई के साथ

आज तीन जनवरी है ।

तीन अक्‍तूबर 2007 को विविध भारती सेवा के स्‍वर्ण जयंती महोत्‍सव की शुरूआत हुई थी । और तब से हर महीने की तीन तारीख को‍ विविध भारती अपना विशेष आयोजन करती आ रही है । ये सिलसिला साल भर जारी रहने वाला है ।

तो आज के स्‍वर्ण जयंती कार्यक्रम 'जुबली झंकार' के बारे में आपको बता दिया जाये ।

दिन में बारह बजे अमरकांत पिछले महीनों के कार्यक्रमों की झलकियां पेश करेंगे और बतायेंगे कि आज आप क्‍या क्‍या सुनने वाले हैं ।

दिन में साढ़े बारह बजे एक बड़ा ही दिलचस्‍प कार्यक्रम होगा । जिसका नाम है 'कैसे कैसे हवामहल'

इस कार्यक्रम में लोकेंद्र शर्मा आपको बतायेंगे कि पिछले पचास सालों में कैसे कैसे हास्‍य हवामहल बने और लो‍कप्रिय हुए । हवामहल ही हास्‍य नाटिकाओं के इतिहास से गुजरना अपने आप में काफी रोमांचक सफर होगा ।

इसके बाद दिन में डेढ़ बजे रेडियोसखी ममता सिंह और अशोक सोनावणे पेश करेंगे 'गोल्‍डन जुबली मनचाहे गीत' ।

फिर दिन में ढाई बजे पुराने और दुर्लभ फिल्‍मी गीतों का संग्रह करने वाले मुंबई के डॉक्‍टर प्रकाश जोशी और उनके साथियों के साथ कमल शर्मा और निम्‍मी मिश्रा पेश करेंगे एक विशेष कार्यक्रम । इस कार्यक्रम में डॉक्‍टर प्रकाश जोशी कई ऐसे दुर्लभ गीत सुनवायेंगे जो आपने विविध भारती तो क्‍या बाकी किसी भी स्‍टेशन से नहीं सुने होंगे ।

फिर आयेगा एक और दिलचस्‍प कार्यक्रम । दो स्‍वर्ण जयंतियों का फ्यूजन । इस साल आई आई टी मुंबई भी अपनी स्‍वर्ण जयंती मना रहा है । और विविध भारती भी । इसलिए विविध भारती की ओर से मैं गया आई आई टी मुंबई और वहां के छात्रों से बातें कीं । हमने दस महत्‍त्‍वपूर्ण सवाल तैयार किये और इनके ज़रिये इन युवाओं के देश और दुनिया के बारे में विचार जानने की कोशिश की । ये एक अत्‍यंत प्रयोगात्‍मक कार्यक्रम है । जरूर सुनिएगा । इस कार्यक्रम का प्रसारण होगा दिन में साढ़े तीन बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक । इसके आखिरी आधे घंटे में आई आई टी के छात्रों का पेश किया गया रंगारंग कार्यक्रम भी शामिल है ।

और हां आपको बता दूं कि ये वही कार्यक्रम है जिसके लिए मैं बीस दिसंबर को आई आई टी गया था । ब्‍लॉग बुद्धि और this is my world वाले युवा ब्‍लॉगर विकास कुमार ने इस कार्यक्रम में काफी सहयोग दिया है । आप इस कार्यक्रम में उनकी आवाज़ भी सुन सकेंगे और उनकी कविता भी ।

तो सुनिए सुनाईये सबको बताईये विविध भारती की स्‍वर्ण जयंती मनाईये ।

 



IIT_mumbai

8 comments:

Dr Parveen Chopra said...

Yunus bhai, tons of thanks for telling us all these details..
Good luck !!
Parveen chopra

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

यूनुस भाई,

हमें तो इस प्रोग्राम का पूरा लिंक आप देंगे उस पल का इंतज़ार रहेगा. '

हाँ, विविध भारती के साथ मेरी सद`भावनाएं तो सदा ही रहेंगीं ...

मनीषा पांडे said...

चाहकर भी सुन पाना मुश्किल है। नौकरी बजाऊं कि रेडियो सुनूं।

Rajendra said...

ऐसे कार्यक्रमों को MP3 में बना कर क्यों नही पोस्ट कर दिया जाए?

Vikash said...

chaah ke bhi nahi sun paa raha hai. kaisi halat hai dekhiye...2 ghante dhoondhne ke baad bhi ek radio nahi mila campus me :(

annapurna said...

वाह ! हवामहल का जवाब नहीं। पर एक घण्टा हवामहल के लिए ऊंट के मुंह में ज़ीरा है।

मन चाहे गीत के सभी गीत मेरे मन चाहे थे।

2:30 का कार्यक्रम क्षेत्रीय प्रसारण के कारण नहीं सुन पाए।

अब 3 बजे से जो कार्यक्रम शुरू हुआ वो किसी कैम्पस से नहीं लग रहा पुराने गीतों का दौर जो चल रहा है। कैम्पस से ऐसी पसन्द, मान गए विविध भारती को…

जुबली झंकार ने तो वाकई झंकृत किया।

वैसे मासिक पर्व तो सुबह वन्दनवार से ही शुरू हो गया। जयपुर मे आयोजित कार्यक्रम से नलिनी निगम और मल्लिका बैनर्जी के गाए भक्ति गीत उद्घोषणाओं के साथ सुनवाए गए। ऐसा वन्दनवार शायद पहली बार प्रसारित हुआ।

आशा है आगे के मासिक पर्व भी ज़ोरदार होंगें।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री यूनुसजी,
नमस्कार, नया साल आपको और श्रीमती ममताजी बहोत बहोत मुबारक हो ।
आप के बताये मुताबिक सभी कार्यक्रम सुने । वैसे विविध भारती के श्री अमरकांतजी वाले प्रोमो से मालूम था तो सही पर आप के बताने से थोडा विषेश ध्यान रहा । इस लिये धन्यवाद । लोकेन्द्रजी का कैसे कैसे हवा महल का संयोजन अफ़लातून रहा । मैनें आई. आई. टी. वाला और डो. प्रकाश जोषी वाले कार्यक्रमको रेकोर्ड किया है ।

मन चाहे गीतोमें पटनाके डो.श्री अजित साहब और श्री अन्नपूर्णाजी की शामिलगीसे खु़शी हुई । और आई. आई. टी के विद्यार्थीयोँ की मेच्योरिटी का तो क्या कहेना । एक साथ करीब सात से आंठ मन्थन सुनने को मिले । काश इस तरह की सौच वाले विध्यार्थी देश के सभी शिक्षा-संस्थानो के होते तो देश की तरक्की में अभी जो जो रूकावटे आती है, वे नहीं होती । पर आज तबीबी व्यवसाय जो सबसे पवित्र होना चाहिए, वो व्यवसाय की जगह व्यापार बन गया है । और एक बार आम आदमी उन व्यवसाय के कहे जाने वाले विषेशज्ञो की चुंगाल में फसा तो वह परिस्थिती कोई भी आदर्शवादी इन्सानके आदर्शोंका बास्पीभवन कर सकता है । मेडिक्लेईम तो बिल का कुछ हिस्सा देता है पर बडी़ शस्त्रक्रिया करने वाले सुपर स्पेस्यालिष्टो जो अन्डर टेबल रकम निकलवाते है मरीजोंसे वह आम लोगो कैसे जूटा पायेगा वह कोई सोचता नहीं है । पूरी सारवार का खर्चा अगर २ या तीन लाख आता है तो वे लोग ऐसी बडी़ रकम का जिक्र इस तरह करते है, जैसे २५ ५० रूपये जैसी कम रकम के बारेमें बोल रहा हो ।
वैसे मेरी गड्डी पटरी से डायवर्झन की और चल पडी । पर इस मुलाकातो के सुनते वक्त आप द्वारा प्रस्तूत दो मंथन कार्यक्रम याद आ गये, जिसमें मैं शामिल हुआ था और किया भी गया था । एक तो ’क्यों कम हो रही है देशमें वैज्ञानिकों की संख्या ?’ और दूसरा ’क्या फिल्मों का अति प्रचार कितना आवश्यक है ?’
डो. प्रकाश जोषी साहब, उनके पारिवारिक सदस्यों और उनके मित्र की बातें अनन्य आनंद दे गयी । अन्जान गानों जैसे बिचमें भूले बिसरे गीतमें बजते थे और आपके छाया गीत कार्यक्रममें बजते है , जो अभी बहोत लम्बे समयसे नहीं हुआ, उस प्रकारके थे या जाने पहचाने पुराने गीतों के विषेश महत्व वाले वादक कलाकारों की बातों से बहोत ही आनंद आया ।

अगर आपका आउट-डोर निर्माण सजीव नहीं होता है या होता है तो भी इस प्रकारके विषेश प्रसारणमें स्थानिय केन्द्रों के लिये व्यापारिक अन्तराल जरूरी है, वैसा आज सुरतमें प्रसारित हुए विज्ञापन से सोचा ।
पियुष महेता ।
(सुरत)

डॉ. अजीत कुमार said...

आज पीयूष जी की टिप्पणी से पता चला कि मैंने बहुत कुछ मिस कर दिया. वैसे कल जो मैं नौ बजे घर से निकला तो शाम सात बजे ही घर लौटा. कार्यक्रम नहीं सुन पाने का बहुत मलाल रहा. पर पीयूष जी की समीक्षा तो जोरदार रही. मैंने जाना कि मेरा e - mail मनचाहे गीत शामिल हुआ था, मेरे घर में भी कोई नहीं इसे सुन पाया.

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