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Tuesday, November 6, 2007

मधुवन, रसवंती

श्रीमती अन्नपूर्णाजी, यह बात मूल रूपसे आपके भूले भिसरे गीत से शुरू हुई है पर बादमें मूझसे ही थोडी थोडी अलग होती गयी इस लिये टिपणी पर लिखना शुरू किया था वह रद करके पोस्ट पर ले गया ।
आपने जो फिल्मी धूनोके सुबाह १०.१५ पर १० मिनिट के कार्यक्रम (गुन्जन) का जिक्र किया है, वह एक निश्चीत समयावधी के लिये बिल्कुल सही है । और बादकी मन्जूषा की बात भी सही है । और अगर मैं गलती नहीं कर रहा हूँ तो १०.५५ पर चित्रशाला कार्यक्रम था । पर ११.०० से १२.३० तक कार्यक्रम मन चाहे गीत नहीं पर जयमाला (बिन फरमाईशी) ही था । उन दिनों मन चाहे गीत रात्री ९.३० से १०.३० तक आता था । एक और मनोरंजन नामसे आम रेडियो श्रोताओं की पसंदके गीतो का कार्यक्रम दिनमें २.०० से तीन बजे तक का होता था । १९६५ के युद्धके बादका एक लम्बा दौर फिल्मी संगीत के सभी १ घंटेके या उससे लम्बें कार्यक्रमो को जयमाला नाम ही दिया गया था जिसमें शामका सिर्फ एक फौ़जी भाईओं की पसंद का हुआ करता था उसको छोड कर बादमें बाकी सभी के नाम स्वरूप बदले गये । उनमें से एक को सुबहमें ८.३० से ९ बजे तक चित्रलोक और ९ से ९.३० तक अनुरोध गीत नामसे आम श्रोताओं की फरमाईशका बना दिया गया था, जो बादमें बंध करके चित्रलोक को प्रायोजित और प्रायोजित गानोंका कर दिया गया था, जो मध्यम तरंग केन्दों पर स्थानिय विज्ञापनों की वजहसे १०.०० बजे तक चलता था पर विविध भारती के दोनों लघू-तरंग (पंचरंगी कार्यक्रम)मुख्य केन्द्रों से उन विज्ञापनो के नहीं होने के कारण करीब ९.४० पर समाप्त होता था तब उन दोनो केन्द्रों से अलग अलग २० मिनिटके फिल्मी गानों का प्रसारण होता था । १०.१५ का गुन्जन था तब दूसरा ५.०० मिनिटका एक ही फिल्मी धूनका कार्यक्रम रात्री ०९.१० पर भी होता था ।
पियुष महेता ।

2 comments:

annapurna said...

आदणीय पीयूष मेहता जी मुझे अच्छी तरह से याद है 11 से 12:30 तक फ़रमाइशी गीतों का मन चाहे गीत कार्यक्रम आता था।

जयमाला सवेरे 8:30 से 9 तक जिसमें ग़ैर फ़रमाइशी गीत जिसके बाद 9 से 9:30 तक मनोरंजन जिसमें फ़रमाइशी गीत होते थे। 9:30 बजे सवेरे की सभा समाप्त होती और 10:15 बजे दूसरी सभा शुरू होती थी।

रात में फ़रमाइशी गीतों के मन चाहे गीत 9:30 से 10:30 फिर सभा समाप्त हो जाती थी बाद मैं केवल शनिवार को 11:00 बजे तक फ़िल्मी गीत बजते थे इस कार्यक्रम का नाम मुझे याद नहीं आ रहा। बाद में यह कार्यक्रम रोज़ आने लगा और शायद नाम भी बदला गया।

ये सभी कार्यक्रम 1965 - 66 के बाद से सत्तर के दशक तक भी जारी रहे।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

आदरणीय श्रीमती अन्नपूर्णाजी,

एक समय सुबहमें मनोरंजन ९ से ९.३० तक था वह तो मूझे याद है । रात्री १०.३० तक मन चाहे गीत के बाद १०.३० पर (एक ही) फिल्मी धून का कार्यक्रम नुपूर आता था और उसके बाद १०३५ से १०.४० तक समाचार आते थे, पर शायद रेडियो संगीत सम्मेलन के नाम से या शास्त्रीय संगीत के शनिवार के दिन उस जमानेमें होते हुए प्राईमरी चेनल्स पर हो रहे अखि़ल भारतीय प्रसारण की वजह से शनिवार के दिन समाचार ११.०५ पर होते थे । इस लिये आपने जो लिखा़ है, वैसा फ़िल्मी संगीत का एक साप्ताहिक कार्यक्रम था और ११.०० बजे नुपूर के बाद ११.०५ पर समाचार होते थे और सभा ११.१० पर समाप्त होती थी ।

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