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Wednesday, November 14, 2007

, गुन्जन, नुपूर, साझ और आवाझ

आदरणीय श्रीमती अन्नपूर्णाजी,
जैसे लोग फिल्मी गीतो को याद रख़ते है , ठीक उसी तरह मैं फिल्मी धूनों को याद रख़ता हूँ । और मनमें ही मनमें लोग जिस तराह गानों के वाद्यवृंद के साथ शब्दावलि मन में याद रख़के गुनगुनाते है, ठीक उसी तरह मेरे दिमागमें उन धूनो का उस धून में मेलोडी पार्ट का एक या कभी कभी दो मुख्य साझ पर बजा हुआ हिस्सा और गीतोके वाद्यवृंद के हिसाब से धूनमे बजाया गये हिस्से वाली पर कभी थोडी सी अलग सी और मुल गीत की संगीत रचना की सरगम को कहीं साझो का फेर-बदल करके की गयी प्रस्तूती यह सब एक बार कोई धून मैं सुन लेता हूँ, तो मेरे दिमागमें काफी़ हद तक रेकोर्ड हो जाता है । और वही धून बादमें जब फिर सुननेमें आती है, और उस धून के बजाने वाले की माहिती एक बार रेडियो पर सुननी या रेकोर्ड या सीडी पर पढीं होती है, तब मेरे मनमें वह माहिती धूनको सुनते ही आ जाती है । मेरे अपने पास भी धूनो का तगडा संग्रह है, जो केसेट्स में है और जिसमें कई अलभ्य भी है जो रेडियो से भी इकठ्ठी की है उनको धीरे धीरे एमपी३ में तबदील कर रहा हूँ । अगर पाठको के रस का विषय रहा तो इनमें से कोई कोई इस ब्लोग पर प्रस्तूत अपनी सुविधा अनुसार करूँगा । आपने जो किस्मत फिल्म के लाखो है यहाँ दिल वाले की धून को याद किया है वह एक समय हवाईन गिटार पर शायद दिपानकर सेनगुप्ता की बजाई आती थी पर बादमें वही धून माऊथ ओरगन पर एक एच. एम. वी. की एल.पी. में श्री शैकत मुकरजीने बजाई । फिल्म लव इन टोकीयो के गीत सायोनारा की धून विविध भारती से नहीं पर रेडियो श्री लंकासे सोलोवोक्स पर श्री केरशी मिस्त्री और प्यानो-एकोर्डियन ( जो हकिकतमें एकोर्डियन ही होता है) पर स्व. श्री गुडी़ सिरवाईने युगल बंदीमें प्रस्तूत की थी । इस धूनमें ताल वाध्यो के सिवा पूरी धून बीच वाले संगीत के साथ इन दो कलाकारोने ही बजाई है । विविध भारती और रेडियो श्री लंका दोनो केन्द्रोके बहोत से लोग युनूसजी और रेडियो सखी ममताजी सहीत मेरे इस पागलपन से भली-भांती परिचीत है । मैनें धून आधारित कार्यक्रम को फिरसे शुरू करने के लिये कई बार लिखा है और इन दोनों सहीत और श्री महेन्द्र मोदी साहबको उनके कार्यालयमें भी कई बार बातें की है । आप सभी को पत्रावलिमें ई मेईल करे ऐसा मेरा आग्रह भरा अनुरोध है । फिल्म प्रेम पर्बत के गीत ये दिल और उनकी निगाहो के साये की धून मैनें सितार पर नहीं पर एक धून शहनाई पर कन्हैयालाल की (वाद्यवृन्द संयोजन श्री ऎनिक डेनियेल्स) और दूसरी पियानो पर श्री केरशी मिस्त्री की बजाई हुई सुनी है और दोनो की दोनो मेरे संग्रहमें है । करीब अगस्त २००२ के बाद साझ और आवाझ जो हर शुक्रवार के दिन ७.४५ से ८.०० बजे तक होता था जो बादमें उन लोगोने बंध करके जिज्ञासा उसी समय पर फिरसे शुरू किया है, और फिल्मी धूनो को अभी करीब शाम ६.०८ पर कोई भी उदघोषणा बिना प्रस्यूत किया जा रहा है । करीब ६ से ७ मिनिट की समय-पुर्ति के रूपमें, जिसमें ज्यादा तर प्रथम धून पूरी बजती है । सबसे पहेले गुन्जन कार्यक्रम करीब ११.३० या ११.४५ पर होती थी, जिस जमानेमें १०.१५ पर रसवंती पूराने गानों का आता था और १२.३० पर विविध भारती की दूसरी सभा समाप्त होती थी । बादमें १०.१५ और रात्री ९.१० पर गुन्जन शुरू होने पर साझ और आवाझ सिर्फ़ एक ही राग वाली शास्त्रीय वाद्य और कंठ संगीत का कार्यक्रम बना था जो संगीत सरिता शुरू होने तक चला था । और संगीत सरिता शुरु होने पर गुन्जन बंध कर साझ और आवाझ को शुरूमें उसी समय फिल्मी गीतो और उनकी धूनो का बनाया गया था । अगर किसी पाठक को इस बारेंमें वोईस चेटिन्गमें भी बात करनी हो तो स्वागत है । एक बार युनूसजीने अपने कार्यालयमें मुझसे विविध भारती की लायब्रेरीमें सालों से नहीं बजी ७८ आरापीएम और ईपीझ की लिस्ट मांगी थी जो सालों से इस चेनल पर एक लम्बे अरसे से नहीं प्रस्तूत हुई, तब मैनेम एक लम्बी लिस्ट वहाँ की वहाँ अपने दिमागी याददास्स्त पर लिख़ कर दी थी । पर हाय विविध भारती लायब्रेरी का रख़ रखाव ! वे ज्यादा कुछ नहीं कर सके । इस बारेमें रेडियो श्री लंका की लायब्रेरी का रख रखाव का मेरा अनुभव बहोत बहोत सुंदर रहा । वहाँ से मेरी याद दिलाई कई धूनो और गीतो जो अरसे से नहीं बजे हो श्रीमती पद्मिनी परेरा (जो भारतीय नहीं पर श्रीलंकन ही है फिर भी) बजाती ही है ।
पियुष महेता।

2 comments:

Anonymous said...

आप सभी धुनों को एक-एक कर प्रस्तुत कीजिए।

साथ ही वादक कलाकार और साज़ के बारे में भी बताइए।

Anonymous said...

आप सभी धुनों को एक-एक कर प्रस्तुत कीजिए।

साथ ही वादक कलाकार और साज़ के बारे में भी बताइए।

अन्नपूर्णा

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