यह तो हम सभी जानते है कि हमारे देश में बहुत सी भाषाओं की फ़िल्में बनती है लेकिन हिन्दी फ़िल्में ही देश के सभी भागों में देखी जाती है।
जो हिन्दी नहीं जानते वे भी हिन्दी फ़िल्में देखना पसन्द करते है इसी से हिन्दी फ़िल्में देश भर में लोकप्रिय है और फ़िल्मों से ज्यादा लोकप्रिय है हिन्दी फ़िल्मी गीत और हिन्दी फ़िल्मों का अच्छा स्त्रोत होने से विविध भारती भी बहुत लोकप्रिय है।
यहां दक्षिण में भी विविध भारती से हिन्दी फ़िल्मी गीत सुनने वाले बहुत है हालांकि भाषा की समस्या के कारण गीत के बोल बताने और गुनगुनाने में दिक्कत होती है जिससे कई बार रोचक स्थितियां बन जाती है। ऐसे ही दो अनुभव मैं आपसे बांटना चाहती हूं।
एक अनुभव मेरे कालेज के दिनों का है। कालेज में गपशप के साथ कभी-कभी अंताक्षरी का दौर भी चलता था। एक बार अंताक्षरी में किसी ने एक गीत सुझाया। गीत के बारे में बताया कि चांद भी नहीं रहता, तारे भी नहीं रहते फिर भी हम रहता।
हम सब चौंक गए कि ये कौन सा गीत है। फिर हमने कहा कि नहीं ! ऐसा कोई गीत नही है। तब उसने कहा कि उसने ये गीत छाया गीत में बहुत बार सुना है। इसका मेल वरशन है और फ़ीमेल वरशन भी है। गीत स्लो है। तब हमने पहचाना ये गीत -
न ये चांद होगा न तारे रहेंगें
मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेगें
दूसरा अनुभव कार्यालय का है। यहां एक बार चर्चा छिड़ी की पुराने गाने ही ज्यादा अच्छे होते है। किसी ने बताया उन्हें हिन्दी के भी पुराने ही गाने अच्छे लगते है इसीलिए उन्हें विविध भारती का भूले दूसरे गीत कार्यक्रम बहुत पसन्द है और वो रोज़ सुनते है।
मैं ज़ोर से हंस पड़ी और वो हैरान रह गए। आगे बोले -
सच में मुझे ये प्रोग्राम अच्छा लगता है। देखो इसका टाइटिल भी कितना अच्छा है। सच में ये गाने सुन कर हम दूसरे गीत भूल जाते है।
अब हैरान होने की बारी मेरी थी, इस नए टाइटिल और इसकी नई और सही परिभाषा सुन कर। फिर मैनें उन्हें बताया शब्द बिसरना और भूलना और भूले-बिसरे शब्द का प्रयोग।
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Thursday, November 22, 2007
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1 comment:
'विविध भारती' की खूबी ही यह थी कि जो ठीक से हिंदी नहीं भी जानते थे वे भी 'विविध भारती'द्वारा प्रस्तुत गीतों के दीवाने थे .
लोकप्रियता का इससे बड़ा पैमाना और क्या होगा .
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