अमीन सायानी साहब ने स्टार जयमाला प्रस्तुत कर 3 नवम्बर का दिन जैसे यादगार ही बना दिया. इन्हीं दिनों अपनी किताबों को अवेरते मेरे हाथ किसी ज़माने में दिल्ली से निकलने वाली आकाशवाणी पत्रिका का अंक हाथ आ गया. आवरण के भीतर वाले पन्ने पर तीन विशिष्ट (या महान कहूँ तो भी ग़लत नहीं होगा)के श्वेत-श्याम चित्र दिखे. सोचा आज जब जयमाला की जय-जयकार होरही है तो मैं भी क्यों न अपना स्वर भी मिला दूँ ? तो जनाब देखिये ये तीनख़ास चित्र हैं भारतीय कत्थक नृत्य के साक्षात नटराज गोपीकृष्ण , सुर-सरिता आशा भोंसले और सर्वकालिक महान फ़िल्मकार वी.शांताराम के.ये तीनों सत्तर के दशक में विविध भारती के स्टुडियोज़ में जयमाला प्रस्तुत करने तशरीफ़ लाएथे.इस पत्रिका के बारे में फ़िर कभी लेकिन हाल-फ़िलहाल तो आप इन अविस्मरणीय चित्रों का मज़ा लीजिये.
सबसे नए तीन पन्ने :
Saturday, November 3, 2007
जयमाला-प्रेमियों के लिये तीन विशिष्ट चित्र स्मृतियाँ.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
7 comments:
बेहतरीन पेशक़श । मज़ा आ गया । आप तो कमाल करते हैं संजय भाई ।
संजय भाईसाहब,
मैने फोटो को उनके नाम के क्रम के अनुसार लगा दिया है।
हम रेडियो के साथी तो प्रस्तुतकर्ताओं के चेहरों और स्टूडियो setup से अनजान ही रहरे हैं. ऐसे में रेडियो से जुडी कोई भी याद कोई भी चित्र हमें रोमांचित कर देता है.
धन्यवाद संजय भाई की आपने इन गुणी जनों के चित्र प्रकाशित किए.
कमाल तो युनूस भाई इन गुणीजनों ने किया है हम तो उनके हुनर की जुगाली भर करते हैं.शुक्रिया सागर भाई आपने चित्रों को क्रमानुसार लगा दिया.दर-असल एडवरटाई़ज़िंग एजेन्सी में इन दिनों साँस लेने की फ़ुरसत नहीं होती लेकिन प्रासंगिकता का तक़ाज़ा था सो हड़बड़ी में जारी कर गया. आपको भी धन्यवाद अजीत भाई.आप हम सब मिल कर जो कर रहे हैं उस पर मेरे बड़े भाई जनाब मुनव्वर राना साहब का एक शेर पेश है....
हमीं गिरती हुई दीवार को थामे रहे वरना
सलीक़े से बुज़ुर्गों की निशानी कौन रखता है
जनाब मुनव्वर राना साहब का एक शेर पेश है....
हमीं गिरती हुई दीवार को थामे रहे वरना
सलीक़े से बुज़ुर्गों की निशानी कौन रखता है
--------------------------------
वाह ...वाह ...क्या बात कही !!!
जबरदस्त प्रस्तुति...वाह!!१
चित्रों के लिए धन्यवाद ।
अन्नपूर्णा
Post a Comment
आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।