आज मैं अपना पच्चीसवां चिट्ठा लिख रही हूं। पच्चीस अंक से समारोह की सुगन्ध आती है। चलिए मैं भी आप को शादी के समारोह में ले चलती हूं जहां मैं एक महिला के साथ बतिया रही थी। महिला पेशे से अध्यापक है। तभी वहां एक लड़की आई और उसने हमें नमस्कार किया। इस महिला ने बिना नमस्कार का जवाब दिए सीधे एक सवाल दागा
प्रीति, प्रिफाइनल्स कब है ?
मुझे गुस्सा आया कि क्या ऐसे पूछना है। अरे भई वो शादी-ब्याह में आई है। उसे थोड़ा मस्ती करने दो। यहां भी क्या परीक्षा का तनाव।
तभी मुझे याद आया बहुत दिन पहले किसी पत्रिका में पढा गया एक रोचक लेख जिसमें यह बताया गया था कि हम जिस पेशे से जुड़े होते है उसकी झलक हमारे व्यवहार में मिलती है। इसके लिए बहुत से उदाहरण दिए गए थे जिनमें से मुझे एक उदाहरण बहुत पसन्द आया जिसे यहां मैं प्रस्तुत कर रही हूं -
एक बार एक रेडियो एनाउन्सर के नन्हे-मुन्ने का जन्मदिन था। समारोह में बहुत धूम-धाम रही। अगले दिन कार्यालय में एक अधिकारी ने कहा -
हम कल ज़रा व्यस्त हो गए थे और समारोह में आ नहीं सकें। कैसा रहा ?
एनाउन्सर ने कहा - बढिया रहा, सर !
अधिकारी ने पूछा - कौन- कौन आए थे ।
एनाउन्सर ने कहना शुरू किया -
बाराबंकी बदायूं से - खुशबू पिंकी बेबी
पी के ग्राम पोस्ट छत्तरा छत्तीसगढ से - पप्पू वीनू नन्दिनी
अटूट गांव ज़िला खंडवा रायपुर से - नीना इंगले उषा इंगले विनोद इंगले और इंगले परिवार के सभी सदस्य
भाटापारा तेवरका राजनन्द गांव से ज्ञानेश्वरी परमेश्वरी माहेश्वरी
टाटा नगर से - राजू देवेन्द्र अमित दीपक
बड़काकाना से ------------
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7 comments:
आपका पचीसवां पोस्ट पढा़, उम्मीद है कि जल्द ही आप अपना पचीस सौवां पोस्ट लिखेंगी
पच्चीसवीं पोस्ट के लिये आपको बहुत बहुत बधाई!
मजेदार रही यह पोस्ट
अन्नपूर्णा जी आपकी ऊर्जा कमाल की है । बड़ी तन्मयता के साथ आप लिख रही हैं । सैकड़ा जल्दी हो । हम मुस्कुरा रहे हैं ।
शुक्रिया ! शुक्रिया !! शुक्रिया !!!
आप सब के सहयोग से ही तो मैं 25 चिट्ठे लिख पाई हूं।
यूनुस जी ऊर्जा तो आप सबमें कमाल की है जो मेरे चिट्ठों को तन्मयता से पढते है।
अन्नपूर्णाजी,
थोडी देरीसे ही सही पर मेरी और से बधाई स्वीकार करें ।
पियुष महेता ।
धन्यवाद पीयूष जी !
हमें ये ब्लॉग बहूत पसंद आया, धन्यवाद्
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।