इस श्रंखला की दूसरी की में मैं मुम्बई के पुराने अलभ्य गानों के संग्राहको में जाने माने नामवर डॉ.प्रकाश जोषी से मुलाकात हुई।
वह इस तरह, कि विविध भारती के दि. ०३-०१-२००८ के दिन जब उनके घर जा कर श्री कमल शर्माजी और श्रीमती निम्मी मिश्रा जीने जो उनकी और उनके बेटे श्री राहुल जोषी से जो भेट वार्ता रेकोर्ड की थी, प्रसारित हुई थी। उस मुलाकात को सुन कर दूसरे दिन सुबह मैंने उनसे फोन पर बात की।
मेरे सुरत निवासी मित्र श्री हरीश रघुवंशी के कारण मैं उनके नाम से थोडा परिचित था । तो उन्ही से उनका फोन नं पाया था। मुझे यह भी पता था, कि वे मराठी भाषी है, इस लिये मैंने उनसे हिन्दी में बात करनी शुरू कि थी, तो उन्होंने शुद्ध गुजराती में उत्तर देने शुरू किये। जब मैं मुम्बई गया तब उनसे उनकी डिस्पेन्सरी का समय जान कर कहा, कि उनके नजदीकी विस्तार में मैं जब भी मेरे एक सम्बंधी के घर आऊँगा, उनसे कम से कम मिलूँगा तो सही चाहे मरीजों की संख्या ज्यादा हो और ज्यादा बात नहीं हो सके तो कोई बात नहीं।
इस तरह एक दिन मैं पहुँच गया तब दवाखाना खुलने में थोडी देर थी। थोडी़ देर के बाद वे आये तब उन्होंने मुझे खड़ा देखकर तुरंत ही पहचान लिया कि मैं वही उनसे मिलने आने वाला व्यक्ति हूँ।
बाद में जब भी मरीजों से बीच बीच में अवकाश मिला तब तब उन्होंने बडी सहृदयता से बातें कि। एक बार मेरी इस मुम्बई यात्रा के पहेले सुरत से टेलिफोनिक बात चीत के दौरान श्री अमीन सायानी साहब ने भी उनको याद किया था। करीब ४० मिनीट बातें (जिसमें रेडियो सिलोन की बात भी शामिल थी।) करके संतोष से मैं लौटा ।
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Saturday, March 15, 2008
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