· इस तसवीरमें लेफ्ट पर गिटार के साथ स्व. वान शिप्ले, बीचमें गायक श्री तलत स्व. मेहमूद श्री राइट पर अपने एकोर्डियन के साथ उनके हर हमेंश के साथी रहे मीठी धूनो के प्रस्तूत कर्ता श्री एनोक डेनियेल्स है ।
कल सुबह प्रसिद्ध पियनो और पियानो एकोर्डियन वादक श्री एनोक डेनियेल्स साहबसे फोन सम्पक हुआ तो उनसे पता चला कि जिन्होंने उनको इस क्षेत्रमें बढावा दिया, वैसे श्री वान सिप्लेजीने दि. ०८-०३-०८ के दिन अपनी अन्तिम सांस ली और इस दूनिया से चल पडे । वे ८१ साल के थे और २० साल पहेले आये लकवा के हमले से उनकी वाचा तभी चली गयी थी ।
वे लख़नौ से मुम्बई आये थे । उन्होंने गिटार भारतीय शास्त्रीय पद्धतीसे और वायोलिन पाश्च्यात्य नोटेसन पद्धती से शीखा था । एच.एम.वी.ने उनके कई ७८ आरपीएम, ४५ आरपीएम (ईपीझ) तथा ३३ आरपीएम (एलपीझ और सुपर -७ ) रेकोर्ड्झ जारि किये थे । जो आज भी रेडियो श्री लंका और विविध भारती से बजते है (हालाकि विविध भारती श्री मनोहरी सिंह और ब्रियान सिलाझ के दे दो बार किये गये अपवाद को छोड़ किसी की भी धूनो को अन्तराल में बजाते समय उन धून के प्रस्तूत कर्ता को क्रेडिट नहीं देता है ।
निर्माता अभिनेता श्री चंद्रशिखर की फिल्म चा चा चा में उन्होंने अभिनय भी किया था जो शायद एक मात्र फिल्म उनकी अभिनेता के रूपमें थी । एक समय फिल्मी धूने सिर्फ़ रेडियो सिलोन पर सुबह ७ से ७.१५तक सभा की शुरूआतमें आती थी ९आज भी सुबह सिर्फ़ ६ से ६.०५ तक आती है ) । इस लिये इन वादक कलाकारों को मोर्निंग स्टार यानि सुबह का तारा कहा जाता था । एक अंग्रेजी अख़बारने उनके लिये फिल्म चा चा चा की रिलीझ के पहेले लिखा था, कि मोर्निंग स्टार इवनिंग स्टार बनने जा रहा है । एक और बात कि, रूपेरी परदे पर वे गिटार वादक वान सिप्ले के रूपमें शायद १९६० की फिल्म घर की लाज में प्रस्तूत हुए थे । फिल्म जो भी हो पर यह फिल्म दिल्ही दूर दर्शन और लघू शक्ति सह प्रसारण केन्द्रों से प्रस्तूत हुई थी, जिसमें स्पेशियल एपियरन्स देने वाले कलाकार के रूपमें शिर्षकमें उनके नाम को देख (पढ) कर इस गिटार वादन को मैंनें अपने निजी संग्रहमें रखा है ।
इस फिल्म के एक गीत इस चमेली के मन्डवे तले को उन्होंने हवाईन गिटार पर प्रस्तूत किया था , जो आज भी कभी कभी विविध भारती की केन्द्रीय सेवा अन्तरालमें बजाती है । मैनें करीब १९७२में सुरतमें उनको श्री एनोक डेनियेल्स साहब केर साथ एक स्टेज शोमें देखा और सुना था । (हालाकि उस समय भी मेरा मूख्य आकर्षण श्री एनोक डेनियेल्स का एकोर्डियन था ।)
वे अपनी स्टाईल के अनोखे वादक थे, वहाँ दूसरी और उनका स्टाईल कोन्ट्रावर्शियल भी था । उनका एक मक्स़द था अपनी अलग पहचान बनानेका और कायम रख़नेका । इस लिये एक और कई गानोंकी धूने उनकी स्टाईल के कारण गानो के हिसाबसे ज्यादा निखरती थी, वहाँ कई सुन्दर गानोंकी धूने थोडी थोडी इधर उधर भी होती कई लोगोको मेहसूस होती थी, यानिकी वे जान बूजकर करते थे । कोई भी धून उनकी सबसे पहेली बार सुनने पर भी इनकी स्टाईल से परिचीत श्रोता को पता चल ही जाता था, कि ये तो वान सिप्ले ही है ।
इधर इसमें से प्रथम प्रकारकी यानि गाने से भी ज्यादा निख़रने वाली एक धून फिल्म दिल दे के देखो के शिर्षक गीत की प्रस्तूत है इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार पर उनको श्रद्धांजलि के रूपमें प्रस्तूत है, जो एक समय आजके हिसाबसे अलग रूपमें उस समय दो पहर तीन से साढे तीन के बीचमें श्री युनूस खान द्वारा प्रस्तूत किये गये विविध भारती की केन्द्रीय सेवा के इन्द्र धनुष कार्यक्रम से मैंनें प्राप्त कि थी । इस धूनमें मूल गानेमें जहाँ गिटार है, वहाँ, इस धूनमें श्री एनोक डेनियेल्स साहब का एकोर्डियन बजा है ।
कल सुबह प्रसिद्ध पियनो और पियानो एकोर्डियन वादक श्री एनोक डेनियेल्स साहबसे फोन सम्पक हुआ तो उनसे पता चला कि जिन्होंने उनको इस क्षेत्रमें बढावा दिया, वैसे श्री वान सिप्लेजीने दि. ०८-०३-०८ के दिन अपनी अन्तिम सांस ली और इस दूनिया से चल पडे । वे ८१ साल के थे और २० साल पहेले आये लकवा के हमले से उनकी वाचा तभी चली गयी थी ।
वे लख़नौ से मुम्बई आये थे । उन्होंने गिटार भारतीय शास्त्रीय पद्धतीसे और वायोलिन पाश्च्यात्य नोटेसन पद्धती से शीखा था । एच.एम.वी.ने उनके कई ७८ आरपीएम, ४५ आरपीएम (ईपीझ) तथा ३३ आरपीएम (एलपीझ और सुपर -७ ) रेकोर्ड्झ जारि किये थे । जो आज भी रेडियो श्री लंका और विविध भारती से बजते है (हालाकि विविध भारती श्री मनोहरी सिंह और ब्रियान सिलाझ के दे दो बार किये गये अपवाद को छोड़ किसी की भी धूनो को अन्तराल में बजाते समय उन धून के प्रस्तूत कर्ता को क्रेडिट नहीं देता है ।
निर्माता अभिनेता श्री चंद्रशिखर की फिल्म चा चा चा में उन्होंने अभिनय भी किया था जो शायद एक मात्र फिल्म उनकी अभिनेता के रूपमें थी । एक समय फिल्मी धूने सिर्फ़ रेडियो सिलोन पर सुबह ७ से ७.१५तक सभा की शुरूआतमें आती थी ९आज भी सुबह सिर्फ़ ६ से ६.०५ तक आती है ) । इस लिये इन वादक कलाकारों को मोर्निंग स्टार यानि सुबह का तारा कहा जाता था । एक अंग्रेजी अख़बारने उनके लिये फिल्म चा चा चा की रिलीझ के पहेले लिखा था, कि मोर्निंग स्टार इवनिंग स्टार बनने जा रहा है । एक और बात कि, रूपेरी परदे पर वे गिटार वादक वान सिप्ले के रूपमें शायद १९६० की फिल्म घर की लाज में प्रस्तूत हुए थे । फिल्म जो भी हो पर यह फिल्म दिल्ही दूर दर्शन और लघू शक्ति सह प्रसारण केन्द्रों से प्रस्तूत हुई थी, जिसमें स्पेशियल एपियरन्स देने वाले कलाकार के रूपमें शिर्षकमें उनके नाम को देख (पढ) कर इस गिटार वादन को मैंनें अपने निजी संग्रहमें रखा है ।
इस फिल्म के एक गीत इस चमेली के मन्डवे तले को उन्होंने हवाईन गिटार पर प्रस्तूत किया था , जो आज भी कभी कभी विविध भारती की केन्द्रीय सेवा अन्तरालमें बजाती है । मैनें करीब १९७२में सुरतमें उनको श्री एनोक डेनियेल्स साहब केर साथ एक स्टेज शोमें देखा और सुना था । (हालाकि उस समय भी मेरा मूख्य आकर्षण श्री एनोक डेनियेल्स का एकोर्डियन था ।)
वे अपनी स्टाईल के अनोखे वादक थे, वहाँ दूसरी और उनका स्टाईल कोन्ट्रावर्शियल भी था । उनका एक मक्स़द था अपनी अलग पहचान बनानेका और कायम रख़नेका । इस लिये एक और कई गानोंकी धूने उनकी स्टाईल के कारण गानो के हिसाबसे ज्यादा निखरती थी, वहाँ कई सुन्दर गानोंकी धूने थोडी थोडी इधर उधर भी होती कई लोगोको मेहसूस होती थी, यानिकी वे जान बूजकर करते थे । कोई भी धून उनकी सबसे पहेली बार सुनने पर भी इनकी स्टाईल से परिचीत श्रोता को पता चल ही जाता था, कि ये तो वान सिप्ले ही है ।
इधर इसमें से प्रथम प्रकारकी यानि गाने से भी ज्यादा निख़रने वाली एक धून फिल्म दिल दे के देखो के शिर्षक गीत की प्रस्तूत है इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार पर उनको श्रद्धांजलि के रूपमें प्रस्तूत है, जो एक समय आजके हिसाबसे अलग रूपमें उस समय दो पहर तीन से साढे तीन के बीचमें श्री युनूस खान द्वारा प्रस्तूत किये गये विविध भारती की केन्द्रीय सेवा के इन्द्र धनुष कार्यक्रम से मैंनें प्राप्त कि थी । इस धूनमें मूल गानेमें जहाँ गिटार है, वहाँ, इस धूनमें श्री एनोक डेनियेल्स साहब का एकोर्डियन बजा है ।
3 comments:
हमारे पिताजी बचपन ही से वान शिप्ले जी का रिकार्ड हमे सुना रहे है। हम तो बहुत कम जानते थे उनके बारे मे। आपके इस लेख से बहुत जानकारी मिली। धन्यवाद।
दिल देके देखो और चमेली के मंडवे तले - ये दोनों धुनें मैने सुनी लेकिन कलाकार के बारे में आज ही जाना।
अन्नपूर्णा
वान शिप्ले के वायलिन का मैं कायल रहा हूं और बचपन से सुनता आ रहा हूं। उनके न रहने की खबर से दुखद है। उन्होने इतिहास रचा खासतौर पर लाइट इंस्ट्रूंमेंटल म्यूजिक के लिए तो वे हमेशा याद किए जाते रहेंगे। जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...
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