रेडियो की बात से हट कर कुछ लिखने के लिये मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ परन्तु एक बढ़िया जानकारी मिली तो आपसे बाँटने का मन हुआ... और वह जानकारी यह है कि रेडियोनामा के वरिष्ठ सदस्य और हमारे मित्र यूनुस खान का लेख फ़िल्मी गानों में होली अभिव्यक्ति में प्रकाशित हुआ है।
इस लेख में यूनुस भाई ने हिन्दी फिल्मों में होली गीतों पर बहुत बढ़िया जानकारी दी है। आप सब एक बार जरूर पढ़ें।
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3 comments:
धन्यवाद सागर जी !
पूरा लेख अच्छा लगा। लेकिन एक गीत यूनुस जी भूल गए। हालांकि कुछ दिन पहले ही रेडियोवाणी पर अमीर ख़ुसरो के चिट्ठे में और कुछ महीने पहले किसी चिट्ठे में मैनें इस गीत की फ़रमाइश की थी।
रेडियोवाणी पर तो फ़रमाइश पूरी नहीं हुई पर शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने सुहाना सफ़र में कुछ ही दिन पहले ये गीत सुनवाया -
छाप तिलक छब छीनी मोसे नैना मिलाएके
फ़िल्म मैं तुलसी तेरे आँगन की आवाज़ें लता और आशा की
अमीर ख़ुसरों की रचना की पँक्तियाँ इसमें ली गई। शास्त्रीय संगीत में ढला ये गीत बेजोड़ है। फ़िल्म में भी इसका बहुत असर रहा।
धन्यवाद बताने के लिए.
बहोत ही सुंदर लेख पर एक छोटा सा सुधार प्रस्तूत करने की गुस्ताखी करने के लिये क्षमा करें ।
निर्देषक श्री हरनाम सिंह रवैल साहब की मस्ताना फिल्ममें यह ’रंग डाला .....’ वाला गाना नहीण था पर सुचित्रा फिल्म्स के बेनर तले जो दूसरी मस्ताना निर्माता प्रेमजीने बनाई थी, उसमें यह गाना था, जो शायद विनोद खन्ना और भारती पर चित्रीत हुआ था, जिसमें हीरो तो मेहमूद और हिरोईन पद्दमिनी थे ।
पियुष महेता ।
सुरत-३९५००१.
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