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Wednesday, March 26, 2008

अलग फ्रीक्वेंसी

सबसे पहले तो मैं रेडियोनामा के सभी ब्लागर मित्रों को शुभकामनाएं देना चाहती हूँ कि सबने मिलकर रेडियोनामा के चिट्ठों के दो शतक पूरे किए। इस समय मैं 201 वाँ चिट्ठा लिख रही हूँ।

इस चिट्ठे में मैं विविध भारती की फ्रीक्वेंसी पर चर्चा करना चाहती हूँ। मैं यहाँ हैदराबाद में एफएम पर विविध भारती सुनती हूं। सवेरे संकेत धुन, वन्देमातरम और मंगल ध्वनि के बाद 6 बजे समाचारों के साथ हम केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

फिर वन्दनवार के बाद 6:30 से 7 बजे तक स्थानीय सेवा में तेलुगु भाषा में प्रसारण होता है जिसके बाद 7 बजे भूले-बिसरे गीत से त्रिवेणी तक 8 बजे तक केन्द्रीय सेवा रहती है। इसके बाद सवेरे के प्रसारण में क्षेत्रीय कार्यक्रम ही सुनने को मिलते है।

दोपहर बारह बजे से सुहाना सफ़र के साथ हम केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है जो 2:30 बजे मन चाहे गीत की समाप्ति तक चलता है फिर 2:30 से 3 तक तेलुगु प्रसारण फिर 3 से 5:15 तक केन्द्रीय सेवा रहती है।

शाम में 7 बजे समाचारों के साथ केन्द्रीय सेवा से जोड़ा जाता है जो हवामहल तक जारी रहता है। 8:15 से 9 तक स्थानीय सेवा फिर गुलदस्ता के साथ 9 बजे से 11 बजे तक केन्द्रीय सेवा सुनते है।

बीच-बीच में जहाँ हम स्थानीय कार्यक्रम सुनते है वहाँ विविध भारती की केन्द्रीय सेवा के हिन्दी कार्यक्रम नहीं सुन पाते है। यहाँ तक कि हर महीने की 3 तारीख़ को आजकल प्रसारित हो रहे जुबली झंकार कार्यक्रम भी 2:30 से 3 नहीं सुन पाते है।

केन्द्रीय सेवा के दौरान भी विशेषकर जयमाला और कभी-कभार भूले-बिसरे गीत के दौरान स्थानीय विज्ञापनों की वजह से केन्द्रीय सेवा बाधित होती है। अक्सर ऐसा होता है कि उदघोषक गीत का विवरण बताते है और कहते है सुनिए गीत और सुनने को मिलता है तेलुगु भाषा में विज्ञापन फिर विज्ञापन समाप्त होने पर बीच में से गीत सुनने को मिलता है।

अगर ऐसा हो कि केन्द्रीय सेवा और स्थानीय सेवा दोनों की फ्रीक्वेंसी अलग-अलग हो तब हम केन्द्रीय सेवा के विविध भारती के सभी कार्यक्रम सुन पाएगें कोई भी कार्यक्रम नहीं छूटेगा और जब मन चाहा स्थानीय केन्द्र से तेलुगु कार्यक्रम सुन लेंगें।

6 comments:

Arun Arora said...

बधाई हो जी दो शतक की ,

mamta said...

आपको भी बधाई।
रेडियो कि फ्रीक्वेंसी के बारे मे आपका सुझाव तो अच्छा लगता है।

Yunus Khan said...

रेडियोनामा के दोहरे शतक में अन्‍नपूर्णा जी आपका जबर्दस्‍त योगदान है । सभी साथियों को मुबारक ।

Yunus Khan said...

रही बात फ्रीक्‍वेन्‍सी की माथापच्‍ची की तो इस बारे में जल्‍दी ही पोस्‍ट लिखकर बताया जायेगा आपको

Pankaj Oudhia said...

आपको भी बधाईयाँ।

annapurna said...

अरूण जी, ममता जी, यूनुस जी, पंकज जी धन्यवाद !

यूनुस जी आपकी इस पोस्ट की प्रतीक्षा मुझे ही नहीं बहुतों को होगी क्योंकि बहुत से शहरों के श्रोता फ्रीक्वेन्सीं की इस समस्या से जूझ रहे होंगें।

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

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