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Friday, March 28, 2008

समाचार प्रस्तुति का बदलता रूप

आकाशवाणी समाचारों का मतलब है सीधी सपाट शैली में समाचार सुनाना। चाहे १५ मिनट के मुख्य समाचार बुलेटिन हो या 5मिनट के छोटे बुलेटिन या 10मिनट के क्षेत्रीय बुलेटिन हो सभी समाचारों की शैली पहले एक जैसी थी।

पहले कहा जाता - ये आकाशवाणी है - फिर वाचक अपना नाम बताते हुए कहते - अब आप पंच देव पांडे से समाचार सुनिए। पहले मुख्य समाचार - जिसमें 4-5समाचारों की शीर्ष पंक्तियां होती थी फिर कहा जाता - अब आप विस्तार से समाचार सुनिए।

समाचारों का निश्चित क्रम होता था जैसे सबसे पहले राजनीतिक घटनाक्रम के समाचार दिए जाते थे फिर राज्य स्तर के समाचार जिसके बाद खेल जगत के समाचार बताए जाते। इसके बाद कला, संस्कृति, साहित्य से कोई समाचार हो तो बताए जाते फिर विदेशों से यदि कोई समाचार हो तो पढे जाते।

अंत में मुख्य समाचार एक बार फिर कह कर शुरू में बताई गई मुख्य समाचारों की शीर्ष पंक्तियां दोहराई जाती फिर इतना ही कहा जाता - समाचार समाप्त हुए।

जब समाचार प्रस्तुति में परिवर्तन का दौर शुरू हुआ तो सबसे पहले क्रम में बदलाव आया। अब प्रमुख समाचार पहले बताए जाते चाहे वो किसी भी क्षेत्र के हो जैसे भारत क्रिकेट में विश्व कप जीतता है तो वह पहला समाचार होता है।

दूसरा परिवर्तन यह हुआ कि विशिष्ट मौकों पर विशिष्ट रिकार्डिंग के अंश सुनाए जाने लगे जैसे लाल क़िले पर झण्डा फ़हराने के बाद दिए जाने वाले संदेश के अंश।

अगले चरण में विशेष मौकों पर उपस्थित आकाशवाणी के संवाददाता से समाचारों के दौरान फोन पर बातचीत कर ताज़ा जानकारी ली जाने लगी।

फिर हुआ बड़ा परिवर्तन जहाँ मुख्य समाचार बुलेटिन की जगह समाचार पत्रिका ने ले ली जिसे शीर्षक भी दिया गया और शैली तो पूरी बदल गई साथ ही शुरूवात भी अभिवादन से होने लगी जैसे -

नमस्कार ! समाचार प्रभात में आपका स्वागत है। मैं लोचनीय अस्थाना… अब तक के मुख्य समाचार … अब विस्तृत समाचारों के साथ अखिल मित्तल… बीच में आवश्यकता के अनुसार फोन पर संवाददाता से ताज़ा घटनाक्रम की जानकारी भी ली जाती है…

अब समाचार पत्रों की सुर्खियों के साथ आशा द्विवेदी… जिसमें सभी प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों के मुख्य समाचार बताए जाते है जैसे दैनिक भास्कर लिखता है… अमर उजाला ने … समाचार को प्रमुखता से छापा है… नई दुनिया अपने संपादकीय में लिखता है… अंत में समाचारों की सुर्खियों पर एक नज़र …

आजकल संचालन अलग से नहीं किया जा रहा जैसे शुरू में जिस वाचक की आवाज़ आती है वही विस्तार से समाचार भी पढ रहे है।

परिवर्तन चाहे जितने आए पर सरल भाषा में स्पष्ट समाचार आकाशवाणी से ही सुने और समझे जा सकते है।

6 comments:

mamta said...

काफ़ी गौर से आप रेडियो सुनती है।

संदीप said...

आपने सही कहा कि सरल भाषा में स्पष्ट समाचार आकाशवाणी से ही सुने और समझे जा सकते हैं...

sanjay patel said...

राजेन्द्र चुघ,अखिल मित्तल , आशुतोष जैन ने पुरूष समाचार वाचकों के रूप में और लोचनी
अस्थाना आशा निवेदी,(हो सकता है द्विवेदी हों),कनकलता,चंद्रिका जोशी और मृगनयनी पांडे ने समाचार वाचन की उस गरिमा को निखारा है
जिसके मानदंड देवकीनंदन पाण्डेय,अशोक वाजपेयी,पंचदेव पांडे,मेल्विन डिमेलो,सुरजीत सेन,इंदु वाही,रामानुज प्रसाद सिंह
जैसे समाचार वाचकों ने स्थापित किए थे. इसमे कोई शक नहीं की आकाशवाणी का समाचार नेटवर्क
आज भी निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ है लेकिन फ़िर भी उसमें जानकार टिप्पणीकार (पत्रकार,लेखक,इतिहारकार,राजनैतिक विश्लेषक,खेल/फ़िल्म/संगीत/साहित्य विषय के जानकार)
शुमार होने से प्रसारण में जीवंतता आ सकती है.मैने कहीं लिखा था कि आंचलिक प्रसारणों के साथ विविध भारती से भी समाचार बुलेटिनों की संख्या
बढ़ाई जानीं चाहिये क्योंकि विविध भारती चैनल का प्रसारण समय ज़्यादा है.समाचार सुर्खि़यों के रूप में नये एफ़.एम.चैनल्स की तर्ज़ पर क्रिकेट मैंचों का
स्कोर,चुनाव के समय परिणामों की जानकारी ऐसी कई चीज़ें जोड़ी जा सकतीं हैं.
.आपकी इस प्रविष्टि की वजह से मै पुराने कई पुराने समाचार वाचकों को याद कर पाया ...
शायद मित्रों को कुछ और नाम याद आ जाएँ.

annapurna said...

धन्यवाद ममता जी, संदीप जी !

संजय जी नामों की सूची लंबी है और एक-एक नाम के साथ उनकी उनकी आवाज़ भी कानों में गूंजने लगती है। यह जानकर अच्छा लगा कि आपका भी आकाशवाणी समाचारों से बहुत लगाव है।

अन्नपूर्णा

sanjay patel said...

आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरी कार्यस्थली पर तीन रेडियो सैट बजते हैं और घर में (दफ़्तर के ठीक ऊपर) भी रेडियो ही बजता रहता है....इंटरटेनमेंट,इवेंट्स और एडवरटाइज़िंग से जुड़े होने के बावजूद सूचना और मनोरंजन की सारी ज़रूरतें रेडियो से पूरी हो जातीं हैं....पूरा परिवार टी.वी. न देखने की मेरी ज़िद में मेरे साथ है.

NAGJIBHAI said...

एक जमाना याद आ गया

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